iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष (2024-25) की पहली तिमाही ये अप्रैल-जून 2024 के दौरान देश से चावल का कुल निर्यात 34 प्रतिशत घटकर 32 लाख टन पर सिमट गया।
ज्ञात हो कि सरकार पहल ही 100 प्रतिशत टूटे चावल (ब्रोकन राइस) तथा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापरिक निर्यात पर प्रतिबंध तथा सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा चुकी है। वैसे सरकारी स्तर पर ब्रोकन राइस एवं सफेद चावल का सीमित निर्यात जारी है।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अप्रैल-जून 2023 की तुलना में अप्रैल-जून 2024 के दौरान सफेद चावल का निर्यात 78 प्रतिशत लुढ़ककर 3 लाख टन, सेला चाल का निर्यात 11 प्रतिशत घटकर 15 लाख टन तथा ब्रोकन राइस का निर्यात 8 प्रतिशत गिरकर 3 लाख टन पर अटक गया। उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2022 में टूटे चावल तथा जुलाई-अगस्त 2023 में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू कर दिया गया।
दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 11 लाख टन पर पहुंच गया। खाड़ी क्षेत्र के देशों में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 की पूरी अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से कुल 157 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था जिसमें 23.60 लाख टन सफेद चावल, 5.45 लाख टन ब्रोकन राइस एवं 75.70 लाख टन सेला चावल का शिपमेंट भी शामिल था। शेष निर्यात बासमती चावल का हुआ।