iGrain India - नई दिल्ली । चालू वर्ष के दौरान 1 अप्रैल से 30 जून के रबी मार्केटिंग सीजन में केन्द्रीय एजेंसी - भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कुल 266 लाख टन गेहूं खरीदा गया जो वर्ष 2023 के 262 टन तथा 2022 के 188 टन से ज्यादा मगर 2024 के निर्धारित लक्ष्य 373 लाख टन से काफी कम रहा।
गेहूं की खरीद इस बार भी 300 लाख टन तक नहीं पहुंच सकी जबकि रबी मार्केटिंग सीजन व्यावहारिक एवं वास्तविक तौर पर 30 जून को समाप्त हो गया।
समझा जाता है कि किसानों को लुभाने के लिए सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य गत वर्ष के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर इस बार 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया था लेकिन कुछ राज्यों में प्राइवेट व्यापारियों द्वारा इससे ऊंचे दाम पर किसानों से गेहूं खरीदने का सकल प्रयास किया गया। इससे सरकारी खरीद प्रभावित हुई। इसे देखते हुए सरकार ने अब गेहूं पर भंडारण सीमा लागू कर दी है।
गेहूं की सरकारी खरीद वर्ष 2021 में 433.40 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंची थी अगर उसके बाद से 300 लाख टन से नीचे ही बनी हुई है।
हालाँकि पंजाब तथा हरियाणा में संयुक्त रूप से इस बार 196 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई जो नियत लक्ष्य 210 लाख टन का 93 प्रतिशत है मगर दूसरी ओर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान जैसे प्रांतों में लक्ष्य के मुकाबले बहुत कम गेहूं खरीदा जा सका। इन तीनों राज्यों में संयुक्त रूप से 160 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था मगर वास्तविक खरीद महज 69.80 लाख टन पर सिमट गई।
वर्ष 2024 में जब 433 लाख टन से अधिक गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई थी तब मंडियों में करीब 444 लाख टन की आवक हुई थी।
चालू वर्ष के दौरान गेहूं की कुल आवक 360 लाख टन से कुछ अधिक होने का अनुमान है जिसमें से 266 लाख टन की सरकारी खरीद हुई।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सरकार ने अपनी जरूरतों के लायक गेहूं खरीद लिया है मगर नवम्बर से गेहूं के बाजार में आने वाली तेजी को नियंत्रित करने की चुनौती बनी रहेंगी।