iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल का मौजूदा स्टॉक न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से करीब साढ़े तीन गुणा ज्यादा है। फिलहाल तथ्य यह है कि पिछले साल की तुलना में चालू मार्कटिंग सीजन के दौरान धान की सरकारी खरीद कम हुई।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 जुलाई 2024 को खाद्य निगम के स्वामित्व में कुल 489.50 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था। इसमें से 329 लाख टन का स्टॉक तो विभिन्न गोदामों / वेयर हाउस में पड़ा हुआ था जबकि शेष 160.50 लाख टन चावल उसे राइस मिलर्स की ओर से प्राप्त होना था। राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिए धान का आवंटन पहले ही किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई को केन्द्रीय पूल में कम से कम 135.40 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद रहने का नियम है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यदि अगले मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर 2024-सितम्बर-2025) के दौरान खरीदारी बंद रही तब भी चावल का वर्तमान स्टॉक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है।
समझा जाता है कि केन्द्रीय पूल में उपलब्ध चावल के अधिशेष स्टॉक की निकासी के बारे में मंडियों की समिति द्वारा जल्दी ही निर्णय किया जा सकता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान यद्यपि धान की कुल खरीद 775.50 लाख टन से ऊपर पहुंच गई जो 520.70 लाख टन चावल के समतुल्य है मगर फिर भी यह गत वर्ष की समान अवधि की खरीद से 8 प्रतिशत कम है।
ध्यान देने की बात है कि सरकार द्वारा 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में कुल 568.70 लाख टन चावल खरीदा गया था। खाद्य निगम को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों के बीच वितरण के लिए प्रति वर्ष लगभग 380 लाख टन चावल की जरूरत पड़ती है।
भारत ब्रांड चावल की बिक्री जारी है और नेफेड, एनसीसीएफ तथा केन्द्रीय भंडार जैसी एजेंसियों की ओर से अब तक 15 लाख टन चावल की खरीद की इच्छा व्यक्त की गई है। इसमें से 10 लाख टन चावल का उठाव भी हो चुका है।