iGrain India - नई दिल्ली । उद्योग संस्था- फिक्की द्वारा आयोजित 9 वे इंडिया मैज सम्मिट में बोलते हुए केन्द्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा है कि भारत को अगले पांच वर्षों के दौरान मक्का का उत्पादन मौजूदा स्तर की तुलना में करीब 100 लाख टन बढ़ाना आवश्यक होगा
क्योंकि एथनॉल निर्माण में इसकी मांग तेजी से बढ़ने की संभावना है और पोल्ट्री फीड उद्योग तथा स्टार्च निर्माण उद्योग में भी खपत बढ़ने के मिल रहे हैं। 2022-23 के सीजन में 346 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ जबकि गत वर्ष यह 337 लाख टन पर अटक गया था।
कृषि सचवि ने क्रमबद्ध तरीके से मक्का की सम्पूर्ण मूल्य-श्रृंखला में होने वाले नुकसान को घटाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि देश में मक्का की मूल्य श्रृंखला को बेहतर एवं व्यवस्थित बनाने की विशाल क्षमता मौजूद है और साथ ही साथ इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी की पर्याप्त गुंजाईश भी है।
इसका सही ढंग से इस्तेमाल करने की जरूरत है। इसके लिए उन्नत एवं बेहतर किस्म के बीज की उपलब्ध्ता सुनिश्चित होनी चाहिए। उचित भंडारण की व्यवस्था होनी चाहिए और बार के साथ जुड़ाव होना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे को देखते हुए इन सब बातों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है।
इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उन प्राइवेट कंपनियों को सहयोग-समर्थन देने के लिए तैयार है जो मक्का की मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) और खासकर महाराष्ट्र में एथनॉल निर्माण क्षेत्र में निवेश करने की इच्छुक है। इससे किसानों के सशक्तिकरण में मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में चीनी मिलों की संख्या सबसे ज्यादा है और वहां एथनॉल निर्माण में मक्का का उपयगो बड़े पैमाने पर किया जा सकता है।
इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उन्हें मक्का का उत्पादन बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिलेगा। प्राइवेट कंपनियों को महाराष्ट्र में वेयर हॉउस स्थापित करना चाहिए ताकि मक्का उत्पादकों को उसमें अपने उत्पाद का भंडार करने में सहूलियत हो सके।