iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। ऐसे समय में, जब अनाज, दाल एवं सब्जी जैसे आयातक खाद्य उत्पादों के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है तब मसालों की कीमतों में आई थोड़ी गिरावट से आम उपभोक्ताओं को मामूली राहत मिलने की उम्मीद है।
पिछले दो महीनों के दौरान धनिया, लालमिर्च, जीरा एवं हल्दी जैसे महत्वपूर्ण मसालों के दाम में 2 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।
अत्यन्त ऊंचे दाम को देखते हुए यह गिरावट मामूली प्रतीत होती है मगर इस पर संतोष किया जा सकता है कि अन्य खाद्य पदार्थों की तर्ज पर इसका भाव तेज नहीं हुआ।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मसालों का भाव पहले ही बढ़कर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था जिससे इसकी घरेलू एवं निर्यात मांग प्रभावित होने लगी।
दिलचस्प तथ्य यह है कि देश में उपरोक्त चारों मसालों का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है लेकिन फिर भी कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ था क्योंकि उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट नीचे दाम पर अपना माल बेचने के इच्छुक नहीं थे।
अंततः जब इसकी मांग कमजोर पड़ने लगी तब कीमतों में भी थोड़ी नरमी आ गई। इसके अलावा प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की अच्छी वर्षा होने से लालमिर्च एवं हल्दी की बिजाई में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है।
लालमिर्च तथा हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश आदि शामिल हैं।
इन सभी प्रांतों में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश हो रही है। जहां तक जीरा और धनिया की बात है तो इसकी बिजाई रबी सीजन में अक्टूबर-नवम्बर के दौरान होती है।
गुजरात और राजस्थान इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं जबकि धनिया का उत्पादन मध्य प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर होता है।
वैसे कालीमिर्च एवं छोटी इलयाची सहित कुछ अन्य मसालों के दाम में नरमी के बजाए कुछ तेजी ही देखी जा रही है। जब अगले महीने से त्यौहारी सीजन आरंभ होगा तब मसालों की घरेलू मांग एवं खपत में बढ़ोत्तरी की संभावना बन सकती है।