iGrain India - नई दिल्ली । अखिल भारतीय स्टार्च निर्माता संघ ने कहा है कि सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के तहत 15 प्रतिशत के रियायती सीमा शुल्क पर विदेशों से 5 लाख टन गैर जीएम मक्का के आयात की अनुमति दी है।
सरकारी एजेंसी- नैफेड के माध्यम से होने वाले इस आयात के तहत स्टार्च निर्माण इकाइयों तक इसकी पहुंच का खर्च करीब 28,000 रुपए प्रति टन बैठ रहा है जिसमें बंदरगाह से मिलों तक पहुंचने का किराया भाड़ा 2500 रुपए प्रति टन तथा 15 प्रतिशत का आयात शुल्क भी शामिल है।
टीआरक्यू से बाहर मक्का के आयात पर 50 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है और इस दर पर मक्का का मिल पहुंच खर्च 35,000 रुपए प्रति टन के आसपास बैठता है जिसमें 2500 रुपए प्रति टन का किराया भाड़ा भी शामिल है।
संघ के अनुसार सीमा शुल्क के इन दोनों ही स्तरों पर मक्का का आयात बहुत महंगा बैठता है और इससे स्टार्च उद्योग को आर्थिक नुकसान होगा।
इसे देखते हुए सरकार को शुल्क मक्त और नियंत्रण मुक्त मक्का के आयात की स्वीकृति देनी चाहिए। स्टार्च उद्योग को कच्चे माल के तौर पर विशाल मात्रा में मक्का की जरूरत है इसलिए केन्द्र को तत्काल शून्य प्रतिशत के शुल्क पर इसका आयात खोलना चाहिए।
यदि तत्काल यह संभव न हो तो टैरिफ रेट कोटा के तहत 20 लाख टन मक्का के आयात की मंजूरी दी जानी चाहिए। विदेशों से आयातित मक्का को भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने में दो-ढाई माह का समय लग जाएगा। स्टार्च उद्योग को मक्का के सीधे आयात की आवश्यकता है।