iGrain India - नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई को लोकसभा में प्रस्तुत केन्द्रीय आम बजट में बाढ़ प्रबंधन (नियंत्रण), जल संसाधनों के विकास, नदियों के विकास, गंगा का जीर्णोद्धार तथा सिंचाई सुविधा के विकास-विस्तार के मद में विशाल धनराशि का आवंटन किया गया है।
इससे न केवल विभिन्न फसलों की सिंचाई के लिए अच्छी व्यवस्था का निर्माण हो सकेगा बल्कि भयंकर बाढ़ से फसलों को होने वाले नुकसान में भी कमी आएगी।
इन सभी मदों में कुल मिलाकर 21,323 करोड़ रुपए का आवंटन नियत किया गया है जो अंतरिम बजट में आवंटित राशि से करीब 300 करोड़ रुपए अधिक है।
दूसरी ओर अन्य अधिकांश मंत्रालयों के लिए बजट आवंटन अंतरिम बजट में आवंटित राशि के लगभग बराबर ही है। मालूम हो कि लोकसभा चुनाव से पूर्व फरवरी 2024 में अंतरिम बजट देश किया गया था।
देश में आधा से अधिक कृषि क्षेत्र अभी वर्षा पर आश्रित है और मानसून की स्थिति में बदलाव का फसलों के उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
वर्षा की कमी एवं सिंचाई सुविधाओं के अभाव से कई बार खरीफ एवं रबी सीजन में चावल, गेहूं, मोटे अनाज, दलहन तथा तिलहन की फसलें प्रभावित होती है और इसका उत्पादन घट जाता है।
वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में किसानों को अक्सर नुकसान झेलना पड़ता है। यदि वहां सिंचाई की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो जाए तो कृषि उत्पादन बढ़ाने में काफी सहायता मिलेगी।
बाढ़ नियंत्रण का मामला भी विचारणीय है। प्रत्येक वर्ष खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार तथा आसाम जैसे राज्यों के अनेक जिलों में भयंकर बाढ़ आती है जिससे न केवल जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है बल्कि फसलों को भी जबरदस्त नुकसान होता है।
इस बार भी इन राज्यों के अनेक जिले विनाशकारी बाढ़ की चपेट में फंसे हुए हैं। इससे खरीफ फसलों को क्षति हो रही है और इसकी बिजाई में बाधा भी पड़ रही है।
अन्य राज्यों में मूसलाधार वर्षा एवं नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी होने के कारण स्थानीय स्तर पर भयंकर बाढ़ आ जाती है। इसे नियत्रित करना आवश्यक है।