iGrain India - भुवनेश्वर । उड़ीसा में विभिन्न फसलों की उत्पादकता घटकर राष्ट्रीय औसत से नीचे आ गई है। इसके तहत खासकर चावल की उपज दर राष्ट्रीय औसत से 19 प्रतिशत नीचे रह गई।
इसी तरह दलहन फसलों की उत्पादकता दर भी राष्ट्रीय औसत से 61 प्रतिशत पीछे है। उड़ीसा विधान सभा में प्रस्तुत किए गए 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह आंकड़ा देते हुए कहा गया है कि फसलों की उपज दर बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है ताकि किसानों की आय तथा कुल पैदावार में अच्छी बढ़ोत्तरी सुनिश्चित हो सके।
राज्य में विभिन्न फसलों की खेती तो विशाल क्षेत्रफल में होती है मगर कमजोर उपज दर के कारण अपेक्षित उत्पादन प्राप्त नहीं हो पाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि उड़ीसा में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसकी खपत बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही है।
वर्ष 2017-18 से ही उड़ीसा मिलेट मिशन के अंतर्गत उत्पादन एवं उपयोग बढ़ाने का प्रयास जारी है। केन्द्र सरकार भी इसे प्रोत्साहित कर रही है।
इसके फलस्वरूप 2022-23 के दौरान राज्य में मिलेट के उत्पादन में 47.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जबकि 2017-18 से 2022-23 के बीच इसके उत्पादन में 121 प्रतिशत का जोरदार इजाफा दर्ज किया गया।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक उड़ीसा में खाद्यान्न का उत्पादन 2021-22 के 113.90 लाख टन से 24.2 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 141.40 लाख टन पर पहुंच गया।
उड़ीसा भारत में चावल का पांचवा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। वर्ष 2021-22 के दौरान चावल के कुल राष्ट्रीय उत्पादन में उड़ीसा का योगदान 7 प्रतिशत रहा था। उड़ीसा केन्द्रीय पूल में भी चावल का अच्छी मात्रा में योगदान देता है।