iGrain India - राजकोट । 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान कपास की घरेलू पैदावार एवं औसत उपज दर उम्मीद से कुछ अच्छी रही और कपड़ा उद्योग को रूई की अच्छी आपूर्ति होती रही।
रूई का बाजार भाव पिछले कुछ वर्षों से काफी उतार-चढ़ाव के गिरफ्त में रहने के बाद इस बार काफी हद तक स्थिर रहा और अगले तीन-चार महीनों तक इसमें विशेष बदलाव होने की संभावना नहीं है।
लेकिन त्यौहारी सीजन की जोरदार मांग निकलने पर बिनौला तेल (कॉटन सीड ऑयल) के दाम में 5-6 रुपए प्रति लीटर तक की तेजी आ सकती है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान कपास के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं जिससे अगले मार्केटिंग सीजन में रूई का उत्पादन घटने कीमत के बावजूद होने की संभावना बन सकती है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर कपास का उत्पादन क्षेत्र 26 जुलाई 2024 तक 103.73 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 113.54 लाख हेक्टेयर से करीब 8 लाख हेक्टेयर कम है।
उद्योग विश्लेषकों के मुताबिक इस बार गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान जैसे प्रांतों में किसानों द्वारा मूंगफली, मक्का, मूंग एवं अन्य ऊंची कीमत वाली फसलों की खेती पर ज्यादा जोर दिए जाने से कपास का रकबा काफी घट गया है।
कपास की फसल को अक्सर पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सूंडी) तथा व्हाइट फ्लाई (सफेद मक्खी) जैसे कीट से भारी नुकसान होता है जिससे किसानों की कठिनाई बढ़ जाती है।
राइस ब्रान तेल के स्वास्थ्य संबंधी फायदों तथा इसकी नियमित उपलब्धता के कारण उपभोक्ताओं के बीच उसकी मांग एवं लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
इससे किसानों को भी चावल का उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल रहा है। त्यौहारी सीजन में कॉटन सीड तेल तथा राइस ब्रान ऑयल, जैसे परम्परागत खाद्य तेलों की मांग मजबूत रहती है। वैसे अन्य खाद्य तेलों का भाव एक निश्चित सीमा में स्थिर बना हुआ है।