iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे चल रहा है लेकिन देश के कुछ राज्यों में मूसलाधार बारिश होने, खेतों में पानी भरने तथा स्थानीय स्तर पर भयंकर बाढ़ आने से फसलों को नुकसान होने के संकेत भी मिल रहे हैं।
दूसरी ओर कुछ इलाकों में मानसून की वर्षा का अभाव होने और तापमान ऊंचा रहने से भी खरीफ फसलों के लिए खतरा बढ़ गया है।
यह विरोधाभासी स्थिति वस्तुतः दक्षिण पश्चिम मानसून की वर्षा के आसमान वितरण के कारण उत्पन्न हुई है।
ऐसे कई राज्य भी हैं जहां कुछ जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है तो कुछ अन्य जिले सूखे की चपेट में फंसे हुए हैं।
अधिशेष बारिश वाले इलाकों में खासकर दलहन-तिलहन फसलों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में धान, गन्ना और कपास की फसल के लिए जोखिम बढ़ गया है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी कई राज्यों में सक्रिय है। मौसम विभाग ने दिल्ली- एनसीआर में 5 अगस्त तक भारी बारिश का दौर जारी रहने की संभावना व्यक्त की है।
उधर हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश होने एवं बदल फटने की घटना सामने आ रही है। मौसम विभाग के अनुसार अगले एक-दो दिन में पश्चिमोत्तर भारत के राज्यों में दूर-दूर तक जोरदार बारिश हो सकती है।
पंजाब-हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के कुछ भागों में वर्षा कम हुई है इसलिए वहां इसकी प्रतीक्षा की जा रही है लेकिन जिन क्षेत्रों में पहले ही जबदस्त बारिश हो चुकी है और खेतों में पानी भरा हुआ है या नमी का जरूरत से ज्यादा अंश मौजूद है वहां आगे होने वाली वर्षा किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है।
जुलाई-अगस्त को सर्वाधिक वर्षा किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। जुलाई-अगस्त को सर्वाधिक वर्षा और खरीफ फसलों की सबसे अधिक बिजाई वाला महीना माना जाता है।
26 जुलाई तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 811.87 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 793.63 लाख हेक्टेयर से करीब 18 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। फसलों की बिजाई कम से कम मध्य सितम्बर तक जारी रहेगी।