iGrain India - मापुटो । भारतीय उच्चायोग ने मोजाम्बिक के आर्थिक एवं वित्त मंत्रालय को एक पत्र भेजकर नकाला बंदरगाह पर अधिकारियों की मनमानी तथा अनियमितता पर अंकुश लगाने का आग्रह किया है।
पत्र में भारत और मोजाम्बिक के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्तों को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि मोजाम्बिक से भारत को लगभग 20-25 करोड़ डॉलर मूल्य के दलहनों का वार्षिक निर्यात किया जाता है।
उच्चायोग ने अपने पत्र में कहा है कि भारत को दलहनों का शिपमेंट करने वाले मोजाम्बिक एवं मलावी के निर्यातकों को नकाला बंदरगाह पर अधिकारियों की अड़ंगेबाजी एवं असंगत मांगों का सामना करना पड़ रहा है।
निर्यातकों से अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग की जाती है और जहाजों को बंदरगाह से प्रस्थान करने से रोका जाता है।
उच्चायोग ने मोजाम्बिक के वित्त एवं आर्थिक मंत्रालय से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बंदरगाह अधिकारी उपयुक्त दस्तावेजों के साथ निर्यातकों के लिए कस्टम क्लीयरेंस की पक्रिया को सरल और आसान बना सके और शिपमेंट में कोई बाधा न उत्पन्न हो सके।
उच्चायोग का कहना था कि बंदरगाहों पर इस तरह का उत्पीड़न तथा शिपमेंट में होने वाला अनावश्यक विलम्ब सही नहीं है और यह भारतीय निवेशकों के लिए मोजाम्बिक के प्रति उत्साह एवं आकर्षण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। भारत के आयातक मोजाम्बिक से दलहनों के आयात को अभी प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारतीय उच्चायोग ने अपने पत्र में पड़ोसी देशों के निर्यातकों द्वारा नकाला तथा वेदरा बंदरगाहों के उपयोग को बढ़ाने में सहायता देने के अपने संकल्प पर भी जो दिया है।
उल्लेखनीय है कि मलावी के निर्यातक भी अक्सर भारत को तुवर का निर्यात शिपमेंट करने के लिए नकाला बंदरगाह का इस्तेमाल करते हैं।
उच्चायोग का कहना है कि अन्य निकटवर्ती अफ्रीकी देशों के निर्यातकों को भी मोजाम्बिक के बंदरगाहों का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा बशर्तें वहां व्यवस्था अच्छी हो।
नकाला मोजाम्बिक का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है मगर वहां एक भारत विरोधी समूह सक्रिय है जिस पर अंकुश लगाए जाने की आवश्यकता है।