iGrain India - नई दिल्ली । वर्तमान खरीफ सीजन में तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 179.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 174.55 लाख हेक्टेयर से 5.15 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इस वृद्धि में मुख्यत: सोयाबीन एवं मूंगफली का योगदान है। यद्यपि सोयाबीन का घरेलू बाजार भाव घटकर काफी नीचे आ जाने से इसके क्षेत्रफल में पहले गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही थी मगर अब लगता है कि इसकी खेती में किसनों का उत्साह एवं आकर्षण बरकरार हैं।
2 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 123.77 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 120.51 लाख हेक्टेयर से 3.26 लाख हेक्टेयर ज्यादा और सामान्य औसत क्षेत्रफल 123 लाख हेक्टेयर से 77 हजार हेक्टेयर अधिक है।
महाराष्ट्र कर्नाटक एवं गुजरात जैसे राज्यों में इसकी बिजाई बढ़ी है मगर राजस्थान में रकबा कुछ पीछे चल रहा है। कुछ इलाकों में सोयाबीन की बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है।
इसी तरह मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 39.24 लाख हेक्टेयर से 4.82 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 44.06 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
दोनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों- गुजरात एवं राजस्थान के साथ-साथ कुछ अन्य राज्यों में भी इस बार मूंगफली का क्षेत्रफल बढ़ने की सूचना मिल रही है क्योंकि मौसम एवं बारिश की हालत वहां अनुकूल रही।
केन्द्र सरकार ने 2023-24 सीजन की तुलना में 2024-25 सीजन के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.3 प्रतिशत बढ़ाकर 4892 रुपए प्रति क्विंटल तथा मूंगफली का समर्थन मूल्य 6.4 प्रतिशत बढ़ाकर 6783 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है। इससे भी इन दोनों तिलहन फसलों की खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है।
दूसरी ओर तिल एवं अरंडी की बिजाई गत वर्ष से काफी पीछे चल रही है जबकि सोयाबीन एवं नाइजरसीड का रकबा कुछ बढ़ा है।
गुजरात और राजस्थान में अरंडी का क्षेत्रफल घटने की सूचना मिल रही है लेकिन इसकी बिजाई अभी जारी है।