iGrain India - निजामाबाद । हालांकि चालू वर्ष के दौरान हल्दी के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है और प्रमुख उत्पादक इलाकों में अच्छी बारिश होने से फसल की हालत बेहतर बताई जा रही है लेकिन इसका नया माल अगले वर्ष आना शुरू होगा।
इस बीच प्रमुख मंडियों में आवक घटने तथा घरेलू एवं निर्यात मांग मजबूत रहने से इस पीले मसाले की कीमतों में कुछ तेजी आने की उम्मीद है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान हल्दी के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 20 प्रतिशत की गिरावट आ गई क्योंकि इसका घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा था।
जून से कीमतों में नरमी आने लगी। देश बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा था। जून से कीमतों में नरमी आने लगी।
देश से अभी करीब 50 लाख बोरी हल्दी हल्दी का स्टॉक बताया जा रहा है जबकि नया माल फरवरी-मार्च 2025 में आना शुरू होगा। हल्दी की प्रत्येक बोरी 55 किलो की होती है।
इसका मतलब यह हुआ कि इस मसाले की मांग एवं आपूर्ति के बीच का समीकरण आगामी कुछ महीनों तक जटिल रह सकता है। वैसे भी उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट नीचे दाम पर जल्दी-जल्दी अपना माल बेचना पसंद नहीं करेंगे।
हल्दी में अब जोरदार त्यौहारी मांग भी निकलने वाली है जबकि कीमतों में आई नरमी को देखते हुए विदेशी आयातक इसकी खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं। बांग्ला देश में फिलहाल स्थिति ठीक नहीं है जबकि वह भारतीय हल्दी का एक महत्वपूर्ण खरीदार है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार जून-जुलाई में आमतौर पर हल्दी की मांग नरम पड़ जाती है और मध्य अगस्त से बढ़ने लगती है।
इस बार स्टॉक कम है और उत्पादक तथा स्टॉकिस्ट इसे दबाने का प्रयास भी कर रहे हैं इसलिए कीमतों में तेजी की संभावना बन रही है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु जैसे राज्यों में इस बार अच्छी वर्षा होने से हल्दी का अगला उत्पादन बेहतर होने के आसार आसार मगर इसकी नई फसल अभी बहुत दूर है।
एक समीक्षक का मानना है कि गणेश चतुर्थी के बाद हल्दी के दाम में अच्छी तेजी आ सकती है जो कमोबेश दीपावली के बाद तक जारी रहने की संभावना है।
हल्दी की बिजाई उम्मीद के अनुरूप पूरी हो चुकी है। गत वर्ष की तुलना में इस बार हल्दी का बिजाई क्षेत्र महाराष्ट्र में 30-35 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रफल 20-25 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि पहली हल्दी का रकबा 60 से 100 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा था क्योंकि मई में इसका भाव शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।