iGrain India - नई दिल्ली। पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान तिलहन फसलों की खेती में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
इसके तहत सोयाबीन एवं मूंगफली के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है जबकि तिल एवं अरंडी के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई है। सूरजमुखी एवं नाइजरसीड के क्षेत्रफल में मामूली इजाफा हुआ है। अरंडी की बिजाई गुजरात एवं राजस्थान में अभी जारी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार खरीफ कालीन तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र इस बार 12 अगस्त तक सुधरकर 183.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल 182.15 लाख हेक्टेयर से 1.55 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इसके तहत सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र 122.90 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 124.70 लाख हेक्टेयर, मूंगफली का क्षेत्रफल 41.60 लाख हेक्टेयर से उछलकर पहुंचा। नाइजरसीड का क्षेत्रफल भी 21 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 26 हजार हेक्टेयर हो गया।
दूसरी ओर इसी अवधि में तिल का उत्पादन क्षेत्र 11.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 10.15 लाख हेक्टेयर तक अरंडी का क्षेत्रफल 5.35 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 2.45 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। गुजरात में इन दोनों तिलहन फसलों का करबा काफी पीछे चल रहा है जबकि वह अरंडी के सबसे प्रमुख एवं तिल का एक महत्वूर्ण उत्पादक प्रान्त है।
वहां कपास की बिजाई भी कम हुई है मगर मूंगफली के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। सोयाबीन का रकबा इस बार 5-10 प्रतिशत घटने की आशंका व्यक्त की जा रही थी
मगर इसके विपरीत क्षेत्रफल गत वर्ष से आगे चल रहा है जबकि इसक बाजार भाव घटकर काफी पीछे आ गया है। कुछ इलाकों में भारी वर्षा एवं खेतों में जल भराव से फसल को नुकसान होने की खबर है।