iGrain India - मुम्बई )। रूई का भाव पिछले दिन 1.07 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 56,900 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर पहुंच गया जिसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय स्तर पर कपास के बिजाई में गिरावट आना माना जा रहा है।
पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान जैसे उत्तरी प्रांतों के साथ-साथ गुजरात में भी कपास के बिजाई क्षेत्र में जोरदार गिरावट आई है।
पिछले साल उत्तरी राज्यों में कपास का कुल बिजाई क्षेत्र 16 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्ष में लुढ़ककर 10.23 लाख हेक्टेयर रह गया।
2024-25 के मौजूदा सीजन के दौरान कपास उत्पादन क्षेत्र घटकर पंजाब में 97 हजार हेक्टेयर, हरियाणा में 4.50 लाख हेक्टेयर तथा राजस्थान में 4.75 लाख हेक्टेयर से शिपमेंट में देरी होने के कारण पड़ोसी देशों में भारतीय रूई की मांग बढ़ गई है।
हालांकि बांग्ला देश में अराजकता के कारण फिलहाल रूई का आयात ठप्प पड़ गया है लेकिन जल्दी ही हालात सामान्य होने पर वहां भारत से इसका आयात आरंभ हो जाएगा। सीमा व्यापार अब चालू हो गया है।
बिनौला (कॉटन सीड) की कीमतों में आई मजबूती से भी रूई के दाम को ऊपर चढ़ने का सहारा मिलने की उम्मीद है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में इस बार मानसून की पहली बौछार के साथ ही कपास की बिजाई आरंभ हो गई थी जो अब लगभग समाप्त हो चुकी है।
देश के सबसे प्रमुख रूई उत्पादक राज्य- गुजरात में किसानों द्वारा मूंगफली की खेती को विशेष प्राथमिकता दिए जाने के कारण कपास के क्षेत्रफल में इस बार भारी गिरावट आ गई है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी कपास का उत्पादन क्षेत्र घटकर 110.50 लाख हेक्टेयर रह गया है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 121.25 लाख हेक्टेयर से 10.75 लाख हेक्टेयर कम है।
न्यूयार्क एक्सचेंज में रूई का वायदा भाव 4 सेंट गिरकर 70 सेंट प्रति पौंड पर आ गया है। वहां अगले महीने से नए माल की आवक शुरू होने वाली है। पंजाब तथा हरियाणा में भी आमतौर पर सितम्बर से नई रूई की आवक आरंभ हो जाती है।