iGrain India - नई दिल्ली । कुछ रिपोर्ट से पता चलता है कि मक्का का उपयोग करने वाले उद्योगों ने सरकार से तत्काल 50 लाख टन मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने का आग्रह किया है ताकि इसकी कमी को पूरा करने में सहायता मिल सके।
पहले पॉल्ट्री फीड एवं पशु आहार निर्माण तथा स्टार्च उद्योग में मक्का की सर्वाधिक खपत होती थी मगर अब एथनॉल निर्माण में इसका उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है।
ध्यान देने की बात है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में अनाज से निर्मित एथनॉल का उत्पादन गन्ना से निर्मित एथनॉल के उत्पादन से ज्यादा रहा जिसके लिए कच्चे माल के तौर पर मुख्यत: मक्का एवं टूटे चावल का इस्तेमाल किया गया।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में यह समीकरण बरकरार रहेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मक्का की पैदावार तथा आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति कैसी रहती है और सरकार इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देती है या नहीं।
मक्का के आयात पर 50 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है जबकि टैरिफ रेट कोटा प्रणाली के तहत होने वाले आयात पर 15 प्रतिशत का रियायती शुल्क लगाया जाता है।
एथनॉल निर्माताओं की जबरदस्त मांग के कारण मक्का का भाव काफी ऊंचा एवं तेज होने लगा है जिससे अन्य उपभोक्ता उद्योगों की कठिनाई बढ़ गई है और निर्यातकों को भी अपना व्यवसाय जारी रखना मुश्किल हो रहा है।
इतना ही नहीं बल्कि मक्का के ऊंचे दाम से स्वयं अनाज आधारित एथनॉल प्लांट भी काफी बेचैनी महसूस कर रहे हैं।
जब मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2090 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया था तब एथनॉल का खरीद मूल्य करीब 72 रुपए प्रति लीटर था।
अब सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए मक्का का एमएसपी 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है जबकि बाजार भाव इससे ऊंचा है।