iGrain India - टोरंटो । एक तरफ कनाडा के दोनों प्रमुख उत्पादक प्रांतों- सस्कैचवान तथा अल्बर्टा में मसूर की नई फसल की कटाई-तैयारी जोर शोर से जारी है तो दूसरी ओर 22 अगस्त से वहां रेलवे कर्मियों की अनिश्चित कालीन हड़ताल होने की संभावना है।
इससे उत्पादक एवं निर्यातक असमंजस की स्थिति में फंस गए हैं। निर्यातकों को लगता है कि उत्पादकों से खरीदे गए दलहन को यदि हड़ताल शुरू होने से पहले बंदरगाहों तक नहीं पहुंचाया गया तो कठिनाई बढ़ सकती है और इसके भंडारण का संकट उत्पन्न हो सकता है।
कनाडा दुनिया में मसूर का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। वहां इस बार बिजाई क्षेत्र बढ़ने एवं मौसम की हालत काफी हद तक अनुकूल रहने से मसूर का उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।
दोनों प्रमुख उत्पादक प्रांतों में मौसम साफ होने से किसानों को फसल कटाई की गति तेज रखने में सहायता मिल रही है लेकिन यदि इसकी बिक्री जल्दी-जल्दी नहीं हुई तो उसका स्टॉक सुरक्षित रखने में दिक्कत पैदा हो सकती है।
यह देखना भी आवश्यक होगा कि यदि रेलवे कर्मियों की हड़ताल हुई तो वह कितने समय तक जारी रहेगी। अगर सरकार को हड़ताल जल्दी समाप्त करने में सफलता मिलती है तो उत्पादकों-निर्यातकों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर हड़ताल की अवधि लम्बी हुई तो मामला बिगड़ सकता है।
अगस्त-सितम्बर में कनाडा को ऑस्ट्रेलिया की गंभीर चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि वहां नई फसल की आवक अक्टूबर-नवम्बर में शुरू होती है।
वैसे इस बीच रूस तथा अमरीका की प्रतिस्पर्धा रहती है मगर वह ऑस्ट्रेलिया की तुलना में कम सख्त होती है। निर्यात में अवरोध पैदा होने पर कनाडा में मसूर के दाम पर दबाव बढ़ सकता है।
वैसे ट्रकों के माध्यम से मसूर की खेपों को उत्पादक केन्द्रों से बंदरगाहों तक पहुंचाया जा सकता है लेकिन इसमें समय एवं खर्च ज्यादा लगेगा और इससे निर्यातकों लाभांश में कमी आ सकती है।