iGrain India - नई दिल्ली । ब्राजील और भारत दुनिया में चीनी के दो सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। इनके बीच विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टीओ) के मंच पर चीनी सब्सिडी के मामले पर विचार बना हुआ था जो अब समाप्त हो गया है।
भारत में ब्राजील राजदूत ने कहा है कि दोनों देश एथनॉल उत्पादक तकनीक में आपसी सहयोग को मजबूत कर रहे हैं और इस तरह डब्ल्यू टीओ में चीनी सब्सिडी पर जारी व्यापारिक विवाद को दोनों ने खत्म कर दिया है।
राजदूत के अनुसार दोनों देशों के बीच अनेक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध इतने अच्छे और मजबूत हो गए हैं कि अब एथनॉल पर ध्यान केन्द्रित करते हुए आपसी बातचीत आरंभ कर दी गई है।
चीनी के वैश्विक अधिशेष स्टॉक को घटाने का यह एक अच्छा तरीका है। इसी अधिशेष उत्पादन एवं स्टॉक के कारण चीनी की कीमतों पर दबाव बना रहता है।
उल्लेखनीय है कि अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ब्राजील ने वर्ष 1975 में ही पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का कार्यक्रम आरंभ कर दिया था।
अब उसने भारत को इस दिशा में तकनीकी सहायता प्रदान करने का ऑफर दिया था। सितम्बर 2023 में जब भारत में जी 20 देशों का सम्मेलन हुआ था तब भारत ने जैव ईंधन का उत्पादन एवं उपयोग बढ़ाने के उद्देश्य से 'ग्लोबल बायोफ्यूल' अलायंस की शुभारंभ किया था।
इसमें ब्राजील अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि वहां जैव ईंधन निर्माण उद्योग काफी विकसित अवस्था में है।
ध्यान देने की बात है कि वर्ष 2019 में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया एवं ग्वाटेमाला ने विश्व व्यापार संगठन में एक याचिका (आवेदन) देकर कहा था कि भारत में किसानों को गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) प्रदान किया जाता है जो वैश्विक व्यापार नियमों के साथ मेल नहीं खाता है।
इस पर भारत ने जवाब दिया था कि न तो केन्द्र और न ही राज्यों में सरकारी स्तर पर किसानों से गन्ना की खरीद की जाती है एफआरपी पर गन्ना की सम्पूर्ण मात्रा की खरीद प्राइवेट क्षेत्र की चीनी मिलें करती हैं।