iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि उसके द्वारा लागू किए गए उपायों के कारण इस बार त्यौहारी सीजन में खाद्य उत्पादों की कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आएगी।
उल्लेखनीय है कि घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार ने जून में तुवर एवं चना पर 30 सितम्बर 2024 तक के लिए भंडारण सीमा लागू कर दिया था।
त्यौहारी सीजन में चना एवं इससे निर्मित बेसन की मांग बहुत बढ़ जाती है। चना का बाजार भाव नए-नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचता जा रहा है जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि भंडारण सीमा आदेश का इसकी कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा। वैसे सरकार ने दलहनों (दालों), आलू तथा प्याज के दाम में आगे भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना से इंकार किया है।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश होने, खरीफ फसलों का रकबा बढ़ने तथा दलहनों के आयात की नीति को उदार बनाए जाने से बाजार में खाद्य उत्पादों की कीमतों में काफी हद तक स्थिरता देखी जा रही है।
उनका कहना था कि पिछले दो सप्ताहों के अंदर तुवर, उड़द एवं मसूर जैसे प्रमुख दलहनों में कुछ नरमी आई है। तुवर के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है जबकि उड़द एवं मसूर का भारी आयात जारी है।
पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 5.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 120 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है जिससे इसकी पैदावार में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
बेहतर उत्पादन होने पर कीमतों में नरमी आएगी। जून 2023 से ही दाल-दलहनों में महंगाई दर दो अंकों में चल रही है।
दो माह पूर्व अनेक केन्द्रों में तुवर दाल का खुदरा मूल्य 200 रुपए प्रति किलो से ऊपर पहुंच गया था जो अब गिरकर 165 रुपए प्रति किलो के करीब रह गया है।
म्यांमार एवं मलावी से तुवर तथा म्यांमार से उड़द का अच्छा आयात हो रहा है और आगे भी इसकी प्रक्रिया जारी रहने की संभावना है। लेकिन चना इसका अपवाद है क्योंकि इसके दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है।