iGrain India - नागपुर । बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने तथा मौसम काफी हद तक अनुकूल रहने से चालू खरीफ सीजन के दौरान कर्नाटक के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी अरहर (तुवर) का शानदार उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर तुवर का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 40.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 45.80 लाख हेक्टेयर हो गया है जो पंचवर्षीय सामान्य औसत क्षेत्रफल से भी ज्यादा है।
अरहर की परिपक्वता अवधि काफी लम्बी (5 से 11 महीनों तक) होती है इसलिए इसके अंतिम उत्पादन का अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार यदि अरहर का शानदार उत्पादन हुआ और विदेशों से सस्ते दलहनों का विशाल आयात जारी रहा तो आगामी समय में बाजार भाव कुछ नरम पड़ सकता है।
इससे आम उपभोक्ताओं को तो कुछ राहत मिल सकती है मगर उत्पादकों की कठिनाई बढ़ जाएगी। एक अग्रणी व्यापारिक संस्था - इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में दलहनों का कुल आयात बढ़कर 47 लाख टन के करीब पहुंच गया जो पिछले पांच साल का सबसे ऊंचा स्तर था।
2024-25 के वर्तमान वित्त वर्ष में दलहनों का आयात कुछ घटकर 40-45 लाख टन के बीच रह सकता है। इस बार खरीफ सीजन में घरेलू उत्पादन कुछ बढ़ने की उम्मीद है।
अरहर का आयात मुख्यत: म्यांमार एवं अफ्रीका से होता है। म्यांमार में नई फसल पहले ही आ चुकी है जबकि अफ़्रीकी देशों में अब शुरू हुई है।
पिछले माह के मुकाबले अरहर के दाम में यद्यपि गिरावट आई है यकीन फिर भी इसका स्तर काफी ऊंचा है। तुवर दाल का भाव 200 रुपए प्रति किलो से घटकर अब 165 रुपए प्रति किलो रह गया है।