iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि करने का सुझाव दिए जाने तथा खाद्य मंत्रालय द्वारा इस पर कोई एतराज नहीं जताए जाने के बाद अब नीति आयोग ने भी कृषि मंत्रालय के सुझाव का समर्थन किया है।
नीति आयोग के अनुसार वर्तमान समय में देश के अंदर खाद्य तेलों की 55-60 प्रतिशत मांग एवं जरूरत को विदेशों से आयात के जरिए पूरा किया जाता है।
खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता बहुत बढ़ गई है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अर्थ व्यवस्था की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है।
नीति आयोग ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी करने के साथ-साथ क्रूड एवं रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क में भारी अंतर रखने का सुझाव भी दिया है।
केन्द्र सरकार ने तिलहन-तेल में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य रखा है और इसी संबंध में आयोग को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। आयोग ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई अन्य उपायों का भी सुझाव दिया है।
आयोग की रिपोर्ट में शुल्क संरचना को लचीला बनाने पर जोर दिया गया है जिसमें वैश्विक बार की स्थिति के अनुरूप समय-समय पर आवश्यक संशोधन-परिवर्तन किया जा सके।
आयोग का कहना है कि घरेलू प्रभाग में खाद्य तेलों की मांग एवं आपूर्ति के बीच बेहतर संतुलन स्थापित करना तथा तिलहन उत्पादकों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वापसी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क का ढांचा इस तरह का होना चाहिए जो स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करे और आम उपभोक्ताओं पर भी भारी-भरकम वित्तीय भार न पड़े।
इसके साथ-साथ घरेलू प्रोसेसिंग- रिफाइनिंग इकाइयों के हितों की रक्षा करना भी आवश्यक है और इसलिए क्रूड खाद्य तेलों का नियमित आयात जारी रखने की जरूरत है। रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में ज्यादा बढ़ोत्तरी होनी चाहिए।