iGrain India - कोच्चि । घरेलू बाजार में बकाया माल का अधिक स्टॉक मौजूद रहने तथा आयातकों द्वारा कम भाव पर उत्पाद की बिक्री किए जाने से स्वदेशी उत्पादकों को भी दाम-घटाकर अपने स्टॉक की बिक्री करने के लिए विवश होना पड़ रहा है जिससे कालीमिर्च की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। पिछले तीन सप्ताहों के अंदर इस महत्वपूर्ण मसाले के मूल्य में 14 रुपए प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में कालीमिर्च का भाव गार्बल्ड श्रेणी के लिय घटकर 666 रुपए प्रति किलो तथा अन गार्बल्ड किस्म के लिए गिरकर 646 रुपए प्रति किलो पर आ गया है।
टर्मिनल मार्केट में औसतन 20-25 टन कालीमिर्च की दैनिक आवक हो रही है जिसमें ज्यादा मात्रा आयातित माल की रहती है।
भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापार संघ (इप्सता) के निदेशक का कहना है कि श्रीलंका से भारी मात्रा में कालीमिर्च का आयात हो रहा है।
केवल जुलाई 2024 में ही विभिन्न देशों से कुल 5085 टन कालीमिर्च मंगाई गई जिसमें अकेले श्रीलंका से 4400 टन का आयात शामिल था। बाजार में इस आयातित माल की भारी बिक्री का दबाव देखा जा रहा है क्योंकि आयातक अपने अधिशेष स्टॉक को जल्दी से जल्दी बेचने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे बाजार में घबराहटपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। स्वदेशी उत्पादकों को इस प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए अपने स्टॉक का दाम घटना पड़ रहा है। आगामी समय में कालीमिर्च के दाम में कुछ और गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
देश के अधिकांश प्रमुख केन्द्रों में विदेशों से आयातित कालीमिर्च का भारी-भरकम स्टॉक पहले से ही मौजूद है लेकिन उसकी क्वालिटी कमजोर बताई जा रही है।
इसके फलस्वरूप डीलर्स (विक्रेताओं) को कम दाम पर वह स्टॉक बेचना पड़ रहा है जिससे कीमतों में नरमी का वातावरण बना हुआ है। दिसावरी बाजारों में अभी तक कालीमिर्च में त्यौहारी मांग भी जोर नहीं पकड़ पाई है।
अधिकांश प्रमुख खपतकर्ता प्रांतों में मानसून की भारी बारिश होने से मौसम प्रतिकूल हो गया है और दिसावरी व्यापारी सीमित मात्रा में ही कालीमिर्च की खरीद कर रहे है।
लेकिन उत्तरी भारत में त्यौहारी सीजन की जोरदार मांग निकलने पर कालीमिर्च बाजार में स्थिरता लौटने की उम्मीद है जबकि कीमतों में गिरावट का सिलसिला समाप्त हो सकता है।