iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने कहा है कि केन्द्रीय पूल में मौजूद अधिशेष स्टॉक तथा खरीफ काईन धान के क्षेत्रफल में हुई बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार ग़ैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर पिछले एक साल से अधिक समय से लागू प्रतिबंध में कुछ ढील या राहत देने पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इस श्रेणी के चावल के व्यापारिक निर्यात पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि निर्यात बार-बार इसे हटाने का आग्रह करते रहे है।
निर्यात प्रतिबंध में राहत दिए जाने पर किसानों, व्यापारियों एवं निर्यातकों को फायदा होगा। वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की मांग काफी मजबूत है और निर्यातक इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं।
सरकार का इस तरह का निर्णय चावल के आयातक देशों को भी राहत प्रदान करेगा जो अभी निर्यात प्रतिबंध के कारण भारी कठिनाई का सामना कर रहे हैं और भारत सरकार से प्रतिबंध में ढील देने के लिए कह रहे हैं।
वर्तमान समय में केवल बासमती चावल एवं गैर बासमती सेला चावल का निर्यात भारत से हो रहा है। सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है
जबकि बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित है। दूसरी ओर 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात पूरी तरह बंद हो चुका है।
खाद्य मंत्री के अनुसार पिछले साल अल नीनो के कारण जो कुछ हुआ वह सबको पता है लेकिन उसके बावजूद खाद्य महंगाई को नियंत्रण में रखा गया।
अल नीनो के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बावजूद पिछले साल धान का अच्छा उत्पादन हुआ। अब गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दिए जाने की मांग उठ रही है और इस पर विचार किया जा सकता है।
सरकार के पास चावल का विशाल बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद है। धान का नया माल अक्टूबर से आने लगेगा जिससे सरकारी गोदामों में चावल का स्टॉक भी नियमित रूप से बढ़ता जाएगा। घरेलू बाजार में भी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी।