iGrain India - नई दिल्ली । एथनॉल उत्पादन में सर्वाधिक लोकप्रिय कच्चे माल की दौड़ में मक्का अब गन्ना से आगे निकलता दिखाई पड़ रहा है।
इसे देखते हुए प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में किसानों ने मक्का का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया है क्योंकि इससे उन्हें बेहतर लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
इसके फलस्वरूप एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्तर पर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के आसपास ही स्थिर है वहीँ दूसरी ओर मक्का के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर मक्का का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 81.25 लाख हेक्टेयर से 7 प्रतिशत या 6 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 87.25 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि गन्ना का क्षेत्रफल 57.11 लाख हेक्टेयर से 57 हजार हेक्टेयर सुधरकर 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है।
महाराष्ट्र में मक्का का उत्पादन क्षेत्र 22 प्रतिशत उछलकर 11 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंचा मगर गन्ना के क्षेत्रफल में भारी गिरावट आ गई। इसी तरह कर्नाटक में मक्का के बिजाई क्षेत्र में 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ मगर गन्ना का रकबा 0.3 प्रतिशत घट गया।
केन्द्र सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2024-25 सीजन के लिए 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसका बाजार भाव इससे ऊंचा रहने की उम्मीद है।
सरकार स्वयं एथनॉल निर्माताओं को आपूर्ति के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भारी मात्रा में मक्का खरीदना चाहती है जबकि अन्य खपतकर्ता उद्योग भी इसकी सचिव से अधिक खरीद करने का इच्छुक है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर मक्का का घरेलू बाजार भाव ऊंचा रहा तो इसका निर्यात प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जबकि पॉल्ट्री फीड, पशु आहार तथा स्टार्च निर्माण उद्योग की कठिनाई भी बढ़ जाएगी।