iGrain India - मेलबोर्न । राबो बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दलहनों की बढ़ती वैश्विक मांग से ने केवल मौजूदा उत्पादक एवं निर्यातक देशों को फायदा हो रहा है बल्कि नए-नए देशों में भी इसके उत्पादन के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ने लगा है।
इससे नए-नए अवसरों क निर्माण हो रहा है और खेती की निरंतरता को मजबूती मिल रही है। दलहन एक विशेष संवर्ग का अनाज है और इसका अपना अलग बाजार है। विश्व स्तर पर इसका कारोबार तेजी से बढ़ने लगा है और विभिन्न देशों में इसकी खपत बढ़ रही है।
दलहनों का वैश्विक उत्पादन 10 करोड़ टन के करीब पहुंच जाने का अनुमान है जिसमें चना, मटर एवं मसूर का संयुक्त योगदान 40 प्रतिशत के करीब है।
वर्ष 2015 से अब तक दलहनों के कारोबार में 29 प्रतिशत का भारी इजाफा हो चुका है। वर्ष 2024 में दलहनों का वैश्विक व्यापार बढ़कर 210 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान इंटरनेशनल ग्रेन्स कौंसिल (आईजीसी) ने लगाया है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार दलहनों की मांग दो प्रमुख कारणों से बढ़ रही है। नए उभरते बाजारों में इसकी खपत बढ़ रही है क्योंकि यह प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है।
इसके अलावा विकसित देशों में भी दलहनों की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है। इसे डेयरी उत्पादों का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
दलहनों के वैश्विक निर्यात बाजार में नए-नए देशों का वर्चस्व बढ़ने लगा है जिसमें रूस तथा अर्जेन्टीना भी शामिल है।
रूस ने मटर के निर्यात में अपनी भागीदारी काफी बढ़ा ली है जबकि अर्जेन्टीना विभिन्न तरह के बीन्स का एक प्रमुख निर्यातक देश बनकर उभर रहा है।
इसी तरह मध्य पूर्व एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों में तुर्की दलहनों के निर्यात का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन गया है। अफ्रीकी देश- मिस्र दुनिया में फाबा बीन्स का सबसे प्रमुख आयातक बना हुआ है।
दक्षिण एशिया में दलहनों की खपत सबसे ज्यादा होती है जहां भारत, पाकिस्तान, बांग्ला देश, श्रीलंका एवं नेपाल जैसे देश इसके प्रमुख खपतकर्ता है। चीन में भी मटर का आयात बड़े पैमाने पर किया जाता है। कई अन्य देश भी दलहनों की खपत बढ़ा रहे हैं।