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जटिल आपूर्ति एवं मजबूत मांग से तुवर के दाम में सुधार के संकेत

प्रकाशित 03/09/2024, 10:58 pm
जटिल आपूर्ति एवं मजबूत मांग से तुवर के दाम में सुधार के संकेत

iGrain India - मुम्बई । हालांकि हाल के दिनों में तुवर के घरेलू बाजार मूल्य में कुछ नरमी आई थी लेकिन अब इसमें पुनः सुधार आने के संकेत मिल रहे हैं।

व्यापार विश्लेषको के अनुसार एक तो विदेशों से तुवर का आयात कम हो रहा है और दूसरे, त्यौहारी सीजन की मांग भी निकलने लगी है।

अरहर की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और इसके क्षेत्रफल में  इजाफा भी हुआ है लेकिन इस नई फसल को तैयार होकर मंडियों में आने में अभी लम्बा समय लगेगा। 

एक विश्लेषक के मुताबिक इसमें की संदेह नहीं कि भारत में तुवर का पर्याप्त स्टॉक मौजूद नहीं है। त्यौहारों के समय अक्सर इसकी मांग एवं खपत बढ़ जाती है।

म्यांमार तथा अफ्रीकी देशों से सीमित मात्रा में इसका आयात हो रहा है। सरकार ने तुवर पर भंडारण सीमा लागू कर रखा है लेकिन फिर भी मंडियों में इसकी बहुत कम आवक हो रही है।

उत्पादकों  के पास तुवर का स्टॉक धीरे-धीरे घटता जा रहा है। केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण दलहन का सीमित स्टॉक बचा हुआ है। ऐसा कोई भी देश नहीं है जो भारत को उसकी जरूरत के लायक तुवर का निर्यात कर सके। 

दरअसल तुवर के साथ समस्या यह है कि इसका घरेलू उत्पादन इसके उपयोग से बहुत कम होता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान देश में करीब 34 लाख टन तुवर का उत्पादन हुआ जबकि इसकी घरेलू खपत 45 लाख टन के करीब होने की संभावना है।

मांग एवं आपूर्ति के बीच इस 11 लाख टन के विशाल अंतर को पाटने के लिए विदेशों से आयात की आवश्यकता है लेकिन निर्यातक देशों में इतना स्टॉक उपलब्ध नहीं है। 

सरकारी आंकड़ों से इतर उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि 2023-24 के सीजन में तुवर का घरेलू उत्पादन 30 लाख टन से भी कम हुआ क्योंकि एक तो बिजाई क्षेत्र में कमी आ गई थी और दूसरे अल नीनो के प्रकोप से अगस्त 2023 में भयंकर सूखा पड़ गया था। कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में तुवर की फसल को इससे भारी क्षति हुई थी। 

सितम्बर से नवम्बर 2024 के दौरान त्यौहारी मांग को पूरा करने के लिए कम से कम 9 लाख टन तुवर की आवश्यकता  पड़ेगी।

इस अवधि को सर्वाधिक खपत वाला समय माना जाता है जिसमें 9 से 12 लाख टन तक तुवर की खपत हो जाती है।

यदि अत्यन्त ऊंचे भाव एवं स्टॉक की अनुपलब्धता के कारण इस बार मांग में 2 लाख टन तक की कमी मान ली जाए तो भी शेष मांग को पूरा करने के लिए देश में अरहर (तुवर) का पर्याप्त स्टॉक मौजूद नहीं रहेगा। 

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