iGrain India - विशाखापट्नम । देश के दक्षिणी राज्य-आंध्र प्रदेश में पिछले सप्ताह हुई अत्यन्त भारी बारिश से खेतों में खड़ी खरीफ फसलों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
खासकर एनटीआर, गुंटूर, बापटला एवं कृषि कृष्णा जैसे प्रमुख लालमिर्च उत्पादक जिलों में स्थिति बहुत खराब हो गई है। वहां कृष्णा नदी में बाढ़ आने से विशाल क्षेत्रफल में खेत जलमग्न हो गए हैं।
बागवानी विभाग द्वारा तैयार की गई आरंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारी वर्षा एवं बाढ़ से 15 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि में बागवानी फसलें प्रभावित हुई हैं जिसमें लालमिर्च, हल्दी, ऑयल पाम, फसलों एवं सब्जियों की फसलें मुख्य रूप से शामिल हैं।
राज्य के जिन प्रमुख उत्पादक जिलों में बागवानी फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ है उसमें गुंटूर, कृष्णा,एनटीआर, बापटला तथा पालनाडु विशेष रूप से सम्मिलित हैं।
बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फसलों को भारी क्षति की आशंका इसलिए बढ़ गई है क्योंकि प्रभावित इलाकों के खेतों से पानी की निकासी नहीं हो रही है।
कृष्णा नदी में जरूरत से बहुत ज्यादा पानी होने से आसपास के क्षेत्रों में पानी भरा हुआ है जबकि मूसलाधार बारिश ने मुसीबत और बढ़ा दी है।
फसलों को हुए कुल नुकसान में अकेले लालमिर्च की भागीदारी 35 प्रतिशत तक बताई जा रही है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 5200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में लालमिर्च की फसल क्षतिग्रस्त हो गई है जिसमें से अकेले एनटीआर जिले में हुई क्षति की भागीदारी 4656 हेक्टेयर है।
इसी तरह पालनाडु जिले में 250 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लालमिर्च की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। कुल मिलाकर आंध्र प्रदेश में 7500 से अधिक लालमिर्च उत्पादक इससे प्रभावित हुए हैं।
राज्य में लालमिर्च की फसल अभी केवल दो-तीन माह पुरानी है और प्रभावित इलाकों में इसकी दोबारा रोपाई करने की जरूरत पड़ेगी जिससे इसके नए माल की तुड़ाई-तैयारी में देर हो जाएगी।
लालमिर्च की फसल 150 से 180 दिनों में तैयार होती है। आंध्र प्रदेश में लालमिर्च का रकबा गत वर्ष की तुलना में इस बार काफी पीछे चल रहा है।