iGrain India - नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से एक से गैर मानसूनी ट्रफ आगे बढ़कर 10 सितम्बर को कोर मानसून ट्रफ के साथ मिल गया जो डिप्रेशन के मध्य में था।
एक अन्य घटना के तहत समुद्री तट का ट्रफ अचानक जीवन्त और सक्रिय हो गया और पश्चिमी तट के साथ इसकी गतिशीलता एवं सघनता बढ़ने लगी।
इसका सिरा दक्षिणी गुजरात से लेकर मध्यवर्ती केरल तक फैला हुआ है। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि मानसून के पीक समय का अस्तित्व अभी समाप्त नहीं हुआ है और इसकी सक्रियता-गतिशीलता आगामी दिनों में भी बरकरार रहेगी।
इधर एक आगामी पचिमी विक्षोभ भी मुसीबत का कारण बन सकता है जो फिलहाल पाकिस्तान के मध्यवर्ती भाग में मौजूद है और दक्षिणी गुजरात के ऊपर एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन के साथ समाहित हो गया है।
यह पश्चिमी विक्षोभ पूर्वी दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए भारत के पश्चिमोत्तर भाग में पहुंच सकता है और डिप्रेशन तथा निम्न दाब के क्षेत्र के साथ शामिल हो सकता है।
इस संभावित मिलना के फलस्वरूप दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में जोरदार बारिश हो सकती है तथा हवा का तेज प्रवाह हो सकता है। धीरे इसका अवशेष कमजोर पड़ते हुए मध्यवर्ती एवं पूर्वी भारत में पहुंच सकता है।
मौसम विभाग ने पश्चिमी मध्य प्रदेश, उत्तरी एवं दक्षिणी गुजरात, गांधीनगर, विदर्भ, मध्य प्रदेश के शेष भागों, कोंकण,
गोवा मध्य महाराष्ट्र के घाटों, छत्तीसगढ़ तथा अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में 11 से 15 सितम्बर तक भारी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है जिससे खरीफ फसलों के लिए खतरा बढ़ सकता है।