iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। देश के मध्यवर्ती, पश्चिमी, पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून की नियमित रूप से अच्छी वर्षा होने के कारण धान, दलहन, तिलहन एवं गन्ना तथा मोटे अनाजों की उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि कपास का रकबा काफी घट गया है।
पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल के मुकाबले इस बार धान के उत्पादन क्षेत्र में 4.06 प्रतिशत, दलहन के बिजाई क्षेत्र में 7 प्रतिशत तथा तिलहन फसलों के रकबे में 0.14 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
देश के कई राज्यों में इस बार सामान्यता इससे अधिक वर्षा हुई है। इसके सहारे धान का क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
नकदी का औद्योगिक फसलों में गन्ना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 57.11 लाख हेक्टेयर से 57 हजार हेक्टेयर बढ़कर इस बार 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है
जो सामान्य औसत क्षेत्रफल से भी ज्यादा है मगर कपास का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष की तुलना में 2.1 प्रतिशत घटकर 112.10 लाख हेक्टेयर रह गया है जो पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल का महज 86 प्रतिशत है। गन्ना और कपास की खेती समाप्त हो चुकी है।
1 जून से 10 सितम्बर के बीच देश में दीर्घकालीन औसत (एलपीए) के सापेक्ष 7.5 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। मौसम विभाग के अनुसार देश के 729 से अधिक जिलों में से करीब 71 प्रतिशत जिलों में सामान्य या अधिशेष वर्षा हुई
और बारिश की कमी वाले जिलों की संख्या काफी घट गई। चालू माह में वर्षा का दौर अभी जारी है। इसलिए कई जिलों में कुल बारिश का आंकड़ा सामन्य स्तर तक पहुंच सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की लेट वर्षा से खरीफ फसलों को कुछ क्षति हो सकती है मगर रबी फसलों की अगैती बिजाई के लिए यह बारिश मददगार साबित होगी।
वैसे भी इस बार बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर कफी ऊंचा हो गया है जिससे रबी फसलों की सिंचाई बेहतर ढंग से सुनिश्चित हो सकती है।