iGrain India - गुंटूर । आगामी महीनों में हल्दी के पाइप लाइन स्टॉक की जटिलता बढ़ने की संभावना है। पिछले सीजन में घरेलू उत्पादन कमजोर होने से हल्दी का स्टॉक गत वर्ष के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत नीचे आ गया है।
इस बीच भारी वर्षा एवं लम्बे समय तक खेतों में जल जमाव के कारण आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना में हल्दी की फसल को क्षति होने की सूचना मिल रही है जबकि महाराष्ट्र में जोरदार वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई है
जिससे वहां भी फसल क्षतिग्रस्त हो सकती है। देश में हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों में तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं उड़ीसा आदि शामिल हैं।
आंध्र प्रदेश बागवानी विभाग की आरंभिक रिपोर्ट के अनुसार मूसलाधार वर्षा एवं बाढ़ से राज्य में 3100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में हल्दी की फसल पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुकी है जबकि वर्षा का दौर आगे भी जारी रहने की संभावना है।
इससे अब तक 4700 से अधिक हल्दी उत्पादक प्रभावित हो चुके हैं। वैसे भी आंध्र प्रदेश में अब तक हल्दी का कुल क्षेत्रफल 15,482 हेक्टेयर ही पहुंच सका है
जबकि पिछले साल वहां इसका कुल उत्पादन क्षेत्र 33,283 हेक्टेयर से ही ऊपर पहुंच गया था। तेलंगाना में इस बार सामान्य औसत से 41 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। उधर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा संभाग में पिछले कुछ दिनों के दौरान हुई जोरदार बारिश के कारण हल्दी की फसल क्षतिग्रस्त हुई है।
ध्यान देने की बात है कि आलू और प्याज की भांति हल्दी भी जमीन के नीचे पैदा होने वाली फसल है इसलिए अगर इसके खेतों में छह दिन से ज्यादा पानी का जमाव रहता है तो वह इसके लिए घातक साबित होने होने लगता हैं।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर हल्दी का कुल उत्पादन 5 प्रतिशत गिरकर 10.70 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान है। 2024-25 के सीजन में उत्पादन कुछ और घट सकता है।
इतना ही नहीं बल्कि अगले मार्केटिंग सीजन के आरंभ में हल्दी का पिछला बकाया स्टॉक भी 10 प्रतिशत तक कम रहेगा। एक समीक्षक ने तो हल्दी के स्टॉक में 25 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है।