iGrain India - पिछले तीन-चार दिनों के अंदर और खासकर 13 सितम्बर 2024 को केन्द्र सरकार ने अनेक ऐसे निर्णय लिए हैं जिससे कृषि उत्पादों के बाजार पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।
एक तरफ गेहूं पर स्टॉक सीमा की अवधि बढ़ाकर घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है
तो दूसरी ओर खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत अंक की बढ़ोत्तरी करके किसानों को तिलहनों का ऊंचा दाम हासिल करने में सहायता देने की कोशिश की गई है।
इसके अलावा बासमती चावल तथा प्याज के लिए निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को समाप्त कर दिया गया है।
इतना ही नहीं बल्कि पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को भी दो माह के लिए बढ़ा दिया गया है। पहले 31 अक्टूबर 2024 को इसकी अवधि समाप्त होने वाली थी मगर अब चालू वर्ष के अंत यानी 31 दिसम्बर 2024 तक बरकरार रहेगी।
इस तरह सरकार ने एक साथ गेहूं, चावल (बासमती), दलहन (पीली मटर), खाद्य तेल एवं प्याज जैसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों के बारे में अलग-अलग ढंग से निर्णय लेकर बाजार की गतिविधियों पर प्रभाव डालने का प्रयास किया है। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।
पीली मटर के आयात की समय सीमा बढ़ने से आयातकों को राहत मिलेगी और वे कनाडा तथा रूस सहित अन्य देशों से इसकी अधिक से अधिक मात्रा मंगाने की कोशिश जारी रखेंगे। देश में पहले ही इसका विशाल आयात हो चुका है। अभी इसका अच्छा खासा स्टॉक भी मौजूद है।
सरकार के नए निर्णय से आयातकों को अक्टूबर-दिसम्बर के बीच शिपमेंट के लिए पीली मटर का अनुबंध करने में सहायता मिलेगी।
ध्यान देने की बात है कि भारत में मटर के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं किया जाता है।
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत की हुई वृद्धि से इसका घरेलू बाजार भाव ऊंचा होगा और क्रमश-प्रोसेसर्स को किसानों से ऊंचे दाम पर तिलहनों की खरीद करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
इसी तरह बासमती चावल एवं प्याज का मेप समाप्त होने से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए स्टॉक सीमा की अवधि आगे बढ़ाई गई है।