iGrain India - मुम्बई । यद्यपि पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान मक्का की बिजाई में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और इसका क्षेत्रफल 82.86 लाख हेक्टेयर से उछलकर 87.27 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जिससे उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं लेकिन इसके बावजूद कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रह सकता है।
केन्द्र सरकार ने भी मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मक्का का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 380.90 लाख टन से घटकर 2023-24 के सीजन में 356.70 लाख टन पर आ गया जबकि एथनॉल निर्माण में इसका उपयोग 8 लाख टन से उछलकर 35 लाख टन पर पहुंच गया।
2024-25 के मार्केटिंग सीजन में एथनॉल उत्पादन में मक्का का उपयोग और भी तेजी से बढ़ने की संभावना है जिससे इसकी मांग एवं आपूर्ति का समीकरण जटिल रह सकता है।
परम्परागत रूप से देश में उत्पादित मक्का के 60 प्रतिशत भाग का उपयोग पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड उद्योग में होता रहा है।
स्टार्च निर्माण में भी 60-70 लाख टन मक्का की खपत होती है और फिर मानवीय खाद्य उद्देश्य में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
घरेलू खपत में वृद्धि होने तथा बाजार भाव ऊंचा रहने से मक्का का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कुछ वर्ष पूर्व इसका निर्यात बढ़कर 35-40 लाख टन पर पहुंच गया था जो अब घटकर 5 लाख टन से भी नीचे आ गया है। आगे भी निर्यात प्रदर्शन में सुधार आने की संभावना बहुत कम है।
एथनॉल निर्माण के लिए निर्माता तो स्वयं मक्का की खरीद पर विशेष ध्यान दे रहे हैं जबकि सरकार भी उसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की तैयारी कर रही है।
इसके फलस्वरूप घरेलू बाजार में मक्का की खरीद के लिए विभिन्न खपतकर्ता उद्योगों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा जारी रहेगी और तदनुरूप ऊंचे से ऊंचे भाव पर इसकी अधिक से अधिक खरीद का प्रयास किया जा सकता है।
यदि सरकार विदेशों से जीएम तथा गैर जीएम- दोनों श्रेणियों के मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देती है तब इसका भाव कुछ हद तक शांत हो सकता है।