iGrain India - हल्दी में व्यापार कम : भाव नरम
नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान हल्दी की कीमतों में मिला-जुला व्यापार रहा। सप्ताह के शुरू में वायदा में भाव नरमी के साथ बोले जाने के कारण भाव दबे रहे। लेकिन सप्ताह के अंत में वायदा में भाव तेजी के साथ बंद होने से हाजिर बाजारों में हल्दी के भाव मजबूती के साथ बोले गए है। सूत्रों का कहना है कि हल्दी कि वर्तमान कीमतों में अधिक मंदा संभव नहीं है। क्योंकि भाव काफी घट चुके है। इसके अलावा उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर अच्छी क्वालिटी की हल्दी की आवक भी कम हो रही है। वर्तमान में मंडियों में जो आवक हो रही है उससे 40/50 प्रतिशत माल डंकी आ रहा है। जिस कारण से हल्की क्वालिटी के मालों में गिरावट दर्ज की जा रही है लेकिन अच्छी क्वालिटी के मालों के भाव मजबूत बने हुए है। बाजार सूत्रों का मानना है कि अच्छी क्वालिटी के मालों की आवक कम होने के कारण आगामी दिनों में हल्दी की कीमतों में एक बार अवश्य ही तेजी आएगी। क्योंकि नई फसल आने में अभी 4/5 माह का समय शेष है।
वायदा बाजार
चालू सप्ताह के दौरान वायदा बाजार में सप्ताह के शुरूआती चार दिनों में भाव घटने के पश्चात पांचवें दिन कीमतें तेजी के साथ बंद हुई है। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर माह की हल्दी 14032 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के अंत में 14152 रुपए पर बंद हुई है। जबकि दिसम्बर माह की हल्दी 14870 रुपए खुली थी जोकि सप्ताह के अंत में 14600 रुपए बंद हुई है। सूत्रों का मानना है कि उत्पादक केन्द्रों पर अभी भी मौसम प्रतिकूल बना रहने के कारण आगामी दिनों में वायदा में हल्दी के भाव मजबूत बने रहेंगे।
हाजिर बाजार
चालू सप्ताह के दौरान हाजिर बाजारों में मांग का अभाव होने के कारण अधिकांश उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी के भाव पूर्व स्तर पर दबे रहे। लेकिन ईरोड मंडी में चालू सप्ताह के दौरान हल्दी के भाव तेजी के साथ बोले गए। क्योंकि कमजोर आवक एवं बढ़ती मांग के कारण ईरोड मंडी में हल्दी के भाव 100/200 रुपए तेजी के साथ सप्ताह के अंत में गट्ठा का भाव 13000/13300 रुपए एवं फली का भाव 14000/14300 रुपए पर बोला गया है। निजामाबाद, सांगली, बसमत एवं हिंगोली मंडी में भाव अपने पूर्व स्तर पर दबे रहे। दिल्ली बाजार में भी हल्दी के भाव पूर्व स्तर पर बोले गए।
बिजाई अधिक
हल्दी की कीमतें गत वर्ष की तुलना में अधिक होने के कारण उत्पादक केन्द्रों पर हल्दी की बिजाई 30/35 प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल पर की गई है। हालांकि कुछ उत्पादक राज्यों में गत दिनों हुई बारिश फसलों का नुकसान की हुआ है। लेकिन 5/10 प्रतिशत नुकसान तो प्रति वर्ष होता है। वर्तमान के उत्पादक राज्यों में मौसम अच्छा है। अगर आगामी दिनों में भी मौसम फसल के अनुकूल बना रहता है तो आने वाली फसल 75/78 लाख बोरी (प्रत्येक बोरी 60 किलो) या इससे अधिक आने के अनुमान लगाए जा रहे है। मगर इस वर्ष नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों में हल्दी का स्टॉक समाप्त हो जाएगा। गत वर्ष नई फसल के समय उत्पादक राज्यों में हल्दी का बकाया स्टॉक 35/38 लाख बोरी का था। और पैदावार 48/50 लाख बोरी की रही थी। सूत्रों का मानना है कि आगामी सीजन में कुल उपलब्धता कमजोर रहने के कारण वर्ष 2025 में हल्दी की कीमतों में अच्छी तेजी देखी जा सकती है।
उत्पादन के पूर्वानुमान
उत्पादक केन्द्रों के व्यापारियों ने आने वाली फसल उत्पादन के पूर्वानुमान लगाने शुरू कर दिए हैं। व्यापारियों का मानना है कि प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा लाइन (नांदेड, बसमत, हिंगोली) लाइन पर हल्दी की पैदावार 35/36 लाख बोरी रहेगी। जबकि सांगली लाइन पर उत्पादन 9/10 लाख बोरी आने की संभावना है। तमिलनाडु में फसल के उत्पादन का अनुमान 10/12 लाख बोरी का लगाया जा रहा है। तेलंगाना में उत्पादन 14/15 लाख बोरी होने की संभावना है। आंध्र प्रदेश में उत्पादन 2/2.50 लाख बोरी एवं अन्य स्रोतों में भी उत्पादन 2/2.50 लाख बोरी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
निर्यात घटा - आय बढ़ी
भाव ऊंचे होने के कारण एक ओर जहां हल्दी के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है वहीँ आय में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल- जून - 2024 के दौरान हल्दी का निर्यात 46497.99 टन का निर्यात किया गया। और अब 9.057 करोड़ डॉलर की हुई। जबकि गत वर्ष अप्रैल- जून - 2023 में हल्दी का निर्यात 57775.27 टन का हुआ था और आय 6.292 करोड़ डॉलर की हुई थी।