iGrain India - बुलंदशहर । उत्तर प्रदेश के हाथरस क्षेत्र में पिछले दो-तीन दिनों के दौरान तेज हवा के परवाह के साथ हुई मूसलाधार बारिश से धान, बाजरा, अरहर (तुवर), तथा उड़द जैसी फसलों को काफी क्षति हुई है।
इसी तरह मुरादाबाद जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में सैलाब आने से खरीफ फसलें बर्बाद होने की आशंका है। तमाम फसलें खेतों में गिर गई हैं जबकि उसमें पानी और कीचड़ भरा हुआ है।
मौसम में आए बदलाव से खरीफ फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मानसून की लेट वर्षा अगैती बिजाई वाली फसलों के लिए जानलेवा साबित हो रही है।
हाथरस क्षेत्र के किसानों ने फसल को हुए नुकसान का सर्वे करवाकर सरकार से तुरंत मुआवजा देने की मांग की है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस आंधी-वर्षा से न केवल औसत उपज दर में नमी आएगी बल्कि विभिन्न फसलों के दाने की क्वालिटी भी प्रभावित होगी।
खेतों में लम्बे समय तक पानी का जमाव रहने पर अरहर और उड़द की फसल क्षतिग्रस्त हो जाएगी। इस नुकसान से किसान काफी चिंतित और परेशान है।
मुरादाबाद सहित कुछ अन्य जिलों में नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। उधर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिले भी बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले एक-दो दिन में खेतों से पानी की निकासी नहीं हुई तो फसलों की बर्बादी का दायरा बढ़ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना जैसे राज्यों में भारी वर्षा एवं बाढ़ की वजह से खरीफ फसलों को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है जबकि अब उत्तर प्रदेश में तबाही शुरू हो गई है। सितम्बर के अंत तक मानसून के सक्रिय रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है।