iGrain India - नई दिल्ली । वैश्विक निर्यात बाजार में पाकिस्तान की प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए केन्द्र सरकार ने प्रीमियम क्वालिटी के बासमती चावल के लिए निर्धारित 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है।
इससे भारतीय निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी जो पिछले कई महीनों से इसे हटाने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा चालू खरीफ सीजन के दौरान बासमती चावल के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है इसलिए सरकार को इसके निर्यात को नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है।
बासमती धान का थोक मंडी भाव घटकर पिछले साल से काफी नीचे आ गया है जिससे उत्पादकों में भारी कटौती है। बासमती चावल पर मेप समाप्त होने से बासमती धान का भाव मजबूत होने की उम्मीद है जिससे किसानों को फायदा होगा।
वैसे भी बासमती धान के लिए न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारित होता है और न ही सरकारी एजेंसियां बफर स्टॉक के लिए इसकी खरीद करती है। बासमती का भाव मुख्यत: बाजार की शक्तियां नियत करती है।
बासमती धान के नए माल की जोरदार आवक अगले महीने से शुरू होने की संभावना है जबकि 1509 पूसा बासमती धान की आपूर्ति उत्तर प्रदेश में पहले ही आरंभ हो चुकी है।
अगस्त 2023 में सरकार ने बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया था मगर बाद में घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत कर दिया।
अब इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। भारत में मेप लागू होने से पाकिस्तान को सबसे अधिक फायदा हुआ क्योंकि वह नीचे भाव पर अपने बासमती चावल का निर्यात करता रहा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि मेप लागू रहने के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 52 लाख टन से ऊपर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।
पाकिस्तान से भी इसका निर्यात उछलकर 3.68 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। निर्यातक अब स्वतंत्र रूप से बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य निर्धारित कर सकते हैं जिससे 2024-25 के वर्तमान वित्त वर्ष में एक बार फिर भारत से इसका शानदार निर्यात हो सकता है।