iGrain India - नई दिल्ली । संशोधित तिथि के अनुरूप दक्षिण-पश्चिम मानसून को कल यानी 17 सितम्बर से ही भारत से अपनी विदाई की यात्रा शुरू करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निकट भविष्य में इसके प्रस्थान करने की संभावना बहुत कम है।
इसके विपरीत देश के कई राज्यों में मानसून की सक्रियता जारी रहने से भारी बारिश हो रही है जिससे खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका बढ़ती जा रही है।
मौसम विभाग ने सितम्बर में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से 9 प्रतिशत अधिक बारिश होने का अनुमान लगाया है जो सच साबित हो सकता है क्योंकि पहले पखवाड़े में 16 प्रतिशत अधिशेष वर्षा दर्ज की गई।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश में बारिश का दौर जारी है जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक एवं केरल जैसे राज्यों में भी मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है।
इससे खासकर निचले इलाकों में जल भराव का संकट बढ़ जाएगा। जिन क्षेत्रों में पहले से ही पानी भरा हुआ है वहां फसलों के लिए गंभीर मुसीबत खड़ी हो सकती है।
अनेक क्षेत्रों में अगैती बिजाई वाली खरीफ फसलें पकने लगी हैं या उसमें दाने लगने लगे हैं। इस मानसूनी वर्षा से उसे नुकसान होने की आशंका हैं या उसमें दाने लगने लगे हैं।
इस मानसूनी वर्षा से उसे नुकसान होने की आशंका है। दलहन तिलहन फसलों की उपज दर के साथ-साथ क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। इसी तरह कपास की फसल पर असर पड़ेगा।
राजस्थान में वर्षा से मूंग तथा कपास को ज्यादा क्षति हो सकती है। मध्य प्रदेश में उड़द की फसल पर खतरा मंडरा रहा है जबकि सोयाबीन की फसल भी प्रभावित होने की संभावना है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान के पौधों में दाने आ गए हैं और अगले महीने से फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने वाली है। यही स्थिति पंजाब तथा हरियाणा की भी है।
मानसून की अधिशेष वर्षा जुलाई-अगस्त में खरीफ फसलों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं मानी गई क्योंकि उस समय फसल प्रगति के चरण में थी।
जहां भारी वर्षा, बाढ़ एवं जल जमाव का प्रकोप रहा वहां फसलों को कुछ नुकसान हुआ जबकि शेष क्षेत्रों में स्थिति बेहतर रही मगर सितम्बर के दूसरे हाफ की भारी वर्षा नुकसान दायक साबित हो सकती है।