iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- तेलंगाना में और खासकर खम्माम, मेहबूबाबाद तथा वारंगल जैसे बाढ़-वर्षा से बुरी तरह प्रभावित जिलों में खेतों से पानी निकासी होने के बाद किसान अब अपनी अब अपनी फसलों की स्थिति का आंकलन कर रहे हैं।
अधिकारियों सूत्रों के अनुसार लगभग 5 लाख एकड़ में फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं और उपरोक्त जिलों में कपास, लालमिर्च तथा धान की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है। राज्य के शेष भागों में फसल की हालत काफी अच्छी बताई जा रही है और वहां उपज दर में सुधार आने के आसार हैं।
तेलंगाना में इस वर्ष खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 50 लाख हेक्टेयर की सीमा को तो पार कर गया मगर फिर भी पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 52 लाख हेक्टेयर से कुछ पीछे रह गया।
अधिकारियों के अनुसार राज्य में खरीफ फसलों की बिजाई के लिए अभी कुछ समय बचा हुआ है जिससे क्षेत्रफल का दायरा बढ़कर गत वर्ष के करीब पहुंच सकता है।
कृषि विभाग के अनुसार चालू खरीफ सीजन के लिए राज्य में 24.50 लाख हेक्टेयर में धान तथा 18 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य नियत किया गया था जो हासिल हो चुका है।
अगस्त के साथ-साथ सितम्बर में भी भारी वर्षा एवं स्थानीय बाढ़ के कारण राज्य कुछ जिलों में खरीफ फसलों के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया था।
लेकिन सौभाग्य से बाढ़ का पानी तेजी से उधर (घट) गया और वर्षा की तीव्रता में भी भारी कमी आ गई। इसके फलस्वरूप खरीफ फसलों को पूर्व अनुमान से काफी कम क्षति होने की संभावना है।
वैसे किसान संगठनों का कहना है कि सरकारी तौर पर क्षति का कम आंकलन किया जा रहा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद रहने तथा बांधों-जलाशयों में पानी का भंडार बढ़ने से आगामी रबी सीजन में विभिन्न फसलों की बिजाई में किसानों को अच्छी सहायता मिलेगी।