iGrain India - आमतौर पर बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने तथा मानसून की अधिशेष बारिश होने के आधार पर इस बार खरीफ फसलों और खासकर धान (चावल), दलहन तथा मक्का का उत्पादन पिछले साल से बेहतर होने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन कपास की पैदावार में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
कुल मिलाकर तिलहन फसलों तथा गन्ना के क्षेत्रफल में भी इजाफा हुआ है मगर इसके उत्पादन में ज्यादा वृद्धि होने में संदेह है। कपास की बिजाई में भारी गिरावट आई है।
इसी तरह उड़द, बाजरा, तिल, अरंडी एवं मोठ का रकबा भी गत वर्ष से पीछे रह गया। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने खरीफ फसलों के बारे में जो आंकलन किया है उससे खासकर चावल (धान) एवं मक्का के उत्पादन में शानदार बढ़ोत्तरी होने का पता चलता है।
अभी यह तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाई है कि भारी वर्षा, जल भराव एवं बाढ़ से खरीफ फसलों को कितना नुकसान हुआ है और सकल राष्ट्रीय उत्पादन पर इसका कितना असर पड़ेगा।
लेकिन जिन इलाकों में इन प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप नहीं या नगण्य रहा वहां फसलों की हालत उत्साहवर्धक बताई जा रही है।
आधिकारिक आंकड़ों से ज्ञात होता है कि धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से 4 प्रतिशत बढ़कर इस बार 410 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जबकि दूसरी ओर कपास का बिजाई क्षेत्र 123.6 लाख हेक्टेयर से 9 प्रतिशत घटकर 112.4 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
एक खास बात यह है कि विभिन्न फसलों का गैर व्यावहारिक या अतिश्योक्तिपूर्ण उत्पादन अनुमान लगाने के लिए अक्सर कृषि मंत्रालय की आलोचन होती रही है और उद्योग-व्यापार क्षेत्र उन आंकड़ों से असहमत होता रहा है इसलिए मंत्रालय ने इस बार नई पहल करते हुए सभी सम्बद्ध संघों-संगठनों,
संस्थाओं एवं सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाकार उससे राय, सुझाव, जानकारी एवं सूचना हासिल की और उसके आधार पर खरीफ फसलों का उत्पादन अनुमान नियत करने का प्लान बनाया है ताकि यह वास्तविकता के अधिक निकट प्रतीत हो सके। इससे खासकर खाद्य,
उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को अपनी रणनीति बनाने तथा आगामी महीनों में नीतिगत निर्णय लेने में सुविधा होगी। वैसे मानसून की वर्षा का दौर अभी जारी रहने से खरीफ फसलों पर खतरा बरकरार है।