iGrain India - मुम्बई । आगामी महीनों के दौरान भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कपास के बिजाई क्षेत्र में करीब 9 प्रतिशत की गिरावट आने तथा कहीं-कहीं बाढ़ वर्षा से फसल को नुकसान होने के कारण इसके घरेलू उत्पादन में भारी कमी आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर कपास का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 123.6 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 112.4 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
रूई का उत्पादन घटने से न केवल इसका निर्यात शिपमेंट प्रभावित होगा बल्कि वस्त्र उद्योग को अपने उत्पादों का निर्यात लक्ष्य हासिल करने में भी कठिनाई होगी।
बांग्ला देश में जारी संकट के कारण भारतीय कपड़ा उद्योग को इस बार अतिरिक्त आर्डर मिलने की उम्मीद है लेकिन उसे पूरा करना आसान नहीं होगा।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक रूई के उत्पादन में भारी गिरावट आना भारतीय कॉटन उत्पादों के निर्यात प्रदर्शन को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2021-22 में इसका निर्यात बढ़कर 41.12 अरब डॉलर पर पहुंचा था जो 2022-23 में गिरकर 35.55 अरब डॉलर तथा 2023-24 में फिसलकर 34.40 अरब डॉलर पर सिमट गया।
सरकार ने 2024-25 वित्त वर्ष के लिए 40 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के कॉटन उत्पादों के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन जिस तरह के हालात बन रहे है उसे देखते हुए यह लक्ष्य काफी ऊंचा प्रतीत होने लगा है। निर्यात लक्ष्य को हासिल करना एक बड़ी चुनौती साबित होगी।
भारत में कपास का उत्पादन 2019-20 के सीजन में उछलकर 360 लाख गांठ के शीर्ष स्तर पर पहुंचा था मगर बाद में यह घटने लगा।
2022-23 के सीजन में उत्पादन में कुछ सुधार आयात मगर 2023-24 में यह पुनः गिरकर 320 लाख गांठ के करीब रह गया। कपास की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है। कृषि मंत्रालय जल्दी ही इसका उत्पादन अनुमान जारी करने वाला है।