iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने कहा है कि विदेशों से दलहनों का आयात बढ़ने तथा खरीफ सीजन में अधिक क्षेत्रफल में बिजाई होने से दाल-दलहनों के घरेलू बाजार भाव में गिरावट आनी शुरू हो गई है।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव के अनुसार दाल-दलहन बाजार में पिछले कुछ समय से नरमी का रूख बना हुआ है क्योंकि विदेशों से इसके आयात की गति तेज हो गई है। इधर खरीफ कालीन दलहन फसलों की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है और इसके क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है।
इस बार मानसून सीजन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में अच्छी बारिश होने से फसल को फायदा हुआ है। अगले महीने से दलहन फसलों की आपूर्ति बढ़ जाएगी और तब कीमतों पर कुछ और दबाव पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि जून 2023 से ही दाल-दलहनों में खुदरा महंगाई की दर दोहरे अंकों में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है क्योंकि चना, तुवर एवं उड़द जैसी प्रमुख दलहन फसलों की पैदावार में गिरावट आ गई थी।
उसके सापेक्ष वर्तमान खरीफ सीजन में तुवर का उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है जबकि अगले रबी सीजन में चना का उत्पादन बढ़ सकता है।
उपभोक्ता मामले सचिव के मुताबिक तुवर एवं उड़द की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है और विदेशों से आयात भी बढ़ रहा है।
इसे देखते हुए आगामी महीनों में दाल-दलहन का बाजार काफी हद तक स्थिर रहने के आसार हैं। खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के मुकाबले करीब 7.6 प्रतिशत बढ़कर इस बार 128.6 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इसके तहत तुवर, मूंग एवं मोठ का बिजाई क्षेत्र बढ़ा है अगर उड़द का रकबा कुछ घट गया है।
पिछले महीने चना दाल की कीमतों में सबसे अधिक 21.65 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई। सरकार ने आगामी महीनों में ऑस्ट्रेलिया से 2 लाख टन तथा तंजानिया से 10 लाख टन देसी चना का आयात करने का प्लान बनाना है
ताकि घरेलू प्रभाग में इस महत्वपूर्ण दलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता को सुगम बनाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने में सहायता मिल सके।
देश में लगभग 21 लाख टन पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात हो चुका है जिसे चना के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार चना का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 के रबी सीजन में 5.62 प्रतिशत घटकर 115.70 लाख टन रह गया।