iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान एवं कच्छ (गुजरात) से 23 सितम्बर को आरंभ हो गई और उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह तक यह समूचे देश से प्रस्थान कर जाएगा। इससे किसानों को रबी फसलों की बिजाई सही समय पर आरंभ करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत में 75 प्रतिशत बारिश इसी मानसून सीजन के दौरान होती है और इससे खरीफ फसलों को भारी फायदा होता है। इस बार मानसून की काफी अच्छी वर्षा हुई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण पश्चिम-मानसून की वापसी आरंभ हो गई है। इसे 17 सितम्बर से ही वापस लौटना था मगर इसमें कुछ देर हो गई।
मानसून की वापसी की रेखा अभी अनूपगढ़, बीकानेर, जोधपुर, भुज तथा द्वारका से होकर गुजर रही है। इसकी और अधिक क्षेत्रों से वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो गई हैं जिसमें पश्चिमी राजस्थान के कई क्षेत्र और इसके समीपवर्ती पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात के इलाके शामिल हैं।
मौसम विभाग मानसून की वापसी का आंकलन करने हेतु 1 सितम्बर से ही वर्षा की कुछ खास स्थिति का अध्ययन होती है।
यदि लगातार 5 दिनों तक वहां बारिश नहीं होती है तो यह मान लिया जाता है कि मानसून ने वापस लौटना शुरू कर दिया है। इसके अलावा भी कुछ आधार निर्धारित किए गए हैं। सभी आधारों का गहराई से विश्लेषण किया जाता है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मानसून की वापसी में एक सप्ताह की देर होने से प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिश एवं नमी की हालत बेहतर हो गई है और बांधों-जलाशयों में स्तर काफी ऊंचा हो गया है।
इससे किसानों को रबी फसलों और खासकर गेहूं, चना, सरसों, मसूर मटर तथा जौ की खेती करने में सुविधा होगी। सरकार ने 1150 लाख टन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। यदि फरवरी-मार्च एक मौसम अनुकूल रहा तो यह लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकता है।