iGrain India - नई दिल्ली । अग्रणी निर्यातकों का कहना है कि बासमती चावल के लिए नियत न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को हटाने का सरकार द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद मध्य पूर्व एशिया,
यूक्रेन तथा अमरीका से इस लम्बे दाने वाले प्रीमियम क्वालिटी के सुगंधित चावल के लिए आर्डर में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है जिससे वैश्विक बाजार में भारत को अपनी भागीदारी बढ़ाने का अच्छा अवसर मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत पिछले एक दशक से भी अधिक समय से दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है।
सरकार ने अगस्त 2023 में बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया था जिसे अक्टूबर 2023 में घटाकर 950 डॉलर निर्धारित कर दिया और अब इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
बासमती धान की नई फसल की आवक शुरू होने से कुछ सप्ताह पूर्व ही मेप को खत्म किए जाने से उत्पादकों एवं बासमती चावल के निर्यातकों को अपनी रणनीति बनाने में सहूलियत होगी।
एक अग्रणी निर्यातक प्रतिष्ठान के अनुसार इस नीतिगत परिवर्तन से भारतीय निर्यातकों को वैश्विक बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अपने बासमती चावल का ऑफर देने में सहायता मिलेगी जिससे निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
दरअसल न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) कुछ खास श्रेणी के बासमती चावल के निर्यात में बाधक बन रहा था और इसे हटाया जाना आवश्यक था।
सरकार ने सही समय पर उचित निर्णय लिया है। अब वैश्विक खरीदारों को विकल्पों को पूरी श्रृंखला तक अपनी पहुंच बनाने का अवसर मिल जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि प्रीमियम ग्रेड के बासमती चावल का उत्पादन केवल भारत और पाकिस्तान में होता और यही से उसका निर्यात भी किया जाता है।
पाकिस्तान में मेप नहीं लगा था इसलिए वह भारत से नीचे दाम पर अपने बासमती चावल का निर्यात ऑफर देकर उसका शिपमेंट बढ़ाने में कामयाब हो रहा था मगर अब उसे भारत की कठिन चुनौती एवं सख्त प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
इससे उसके निर्यात में कमी आ सकती है जबकि भारत से बासमती चावल का शानदार निर्यात जारी रहने की उम्मीद है।