iGrain India - नई दिल्ली । वर्तमान खरीफ सीजन में भारतीय किसानों द्वारा धान, अरहर, मूंग, मक्का, सोयाबीन एवं मूंगफली जैसी फसलों की खेती को विशेष प्राथमिकता दिए जाने के कारण कपास के क्षेत्रफल में भारी गिरावट आ गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसर केवल कर्नाटक एवं उड़ीसा में इसके उत्पादन क्षेत्र में मामूली बढ़ोत्तरी हुई जबकि शेष सभी प्रमुख उत्पादक प्रांतों- गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब में इसके बिजाई क्षेत्र में गिरावट आ गई।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर कपास का कुल उत्पादन क्षेत्र 112.76 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका
जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 123.71 लाख हेक्टेयर से 10.95 लाख हेक्टेयर या करीब 9 प्रतिशत कम रहा। यह रकबा पिछले पांच साल के सामान्य औसत क्षेत्रफल 129.34 लाख हेक्टेयर से भी बहुत पीछे रह गया।
देश के तीन शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना में बिजाई क्षेत्र घटने के साथ-साथ बाढ़-वर्षा से भी कपास की फसल को नुकसान होने की सूचना मिल रही है।
यही स्थिति मध्य प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश की भी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान कपास का उत्पादन क्षेत्र गुजरात में 26.79 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 23.62 लाख हेक्टेयर,
महाराष्ट्र में 42.22 लाख हेक्टेयर से घटकर 40.75 लाख हेक्टेयर तथा तेलंगाना में 18.01 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 17.39 लाख हेक्टेयर रह गया।
इसी तरह समीक्षाधीन अवधि के दौरान कपास का रकबा मध्य प्रदेश में 6.50 लाख हेक्टेयर से गिरकर 6.14 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 6.65 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 4.76 लाख हेक्टेयर,
राजस्थान में 7.90 लाख लाख हेक्टेयर से घटकर 5.19 लाख हेक्टेयर तथा आंध्र प्रदेश में 3.80 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 3.71 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
पंजाब में भी यह 2.14 लाख हेक्टेयर से गिरकर 1.00 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। कपास का उत्पादन क्षेत्र कर्नाटक में 6.74 लाख हेक्टेयर तथा उड़ीसा में 2.36 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया जो गत वर्ष से कुछ अधिक है।