iGrain India - पटना । मानसून सीजन के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं होने से बिहार में इस बार खरीफ कालीन धान का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है।
बिहार के कृषि सचिव के अनुसार इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में बिहार में 1 जून से 25 सितम्बर के दौरान सामान्य औसत से 28 प्रतिशत कम वर्षा हुई।
चूंकि फसलों की सिंचाई के लिए बिहार मुख्यत: बारिश पर निर्भर रहता है इसलिए राज्य के कुछ हिस्सों में वर्षा बहुत कम होने से धान का कुल उत्पादन घट जाएगा।
इसे देखते हुए अब फसल विविधिकरण के प्रति के प्रति किसानों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है। कृषि सचिव के मुताबिक 2023-24 सीजन के दौरान बिहार में लगभग 7 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था।
कृषि सचिव का कहना था कि धान की खेती अब बिहार के किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक साबित नहीं हो रही है। कुछ इलाकों में वर्षा बहुत कम होने लगी है जबकि धान की फसल को सिंचाई के लिए सर्वाधिक पानी की जरूरत पड़ती है।
इसके फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में किसान अब धान के बजाए अन्य फसलों की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं। इस वर्ष लगभग सम्पूर्ण दक्षिण बिहार में सूखे जैसा माहौल बना हुआ है इसलिए सरकार वहां मक्का की खेती को प्रोत्साहित करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में मक्का का ज्यादा उत्पादन रबी सीजन में होता है जबकि सरकार चाहती है कि किसान खरीफ सीजन में भी इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास करे।
इसकी बिजाई जून में मानसून सीजन के आरंभ में करके सितम्बर-अक्टूबर में फसल की कटाई हो जाए ताकि किसानों को रबी सीजन में बिजाई के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध हो सके। रबी सीजन में मक्का का उत्पादन करने के मामले में बिहार प्रथम स्थान पर रहता है।
कुल मिलाकर बिहार में मक्का की खेती के लिए लगभग 9.50 लाख हेक्टेयर की भूमि आरक्षित रहती है मगर खरीफ सीजन में केवल 2 लाख हेक्टेयर का ही उपयोग हो पाता है।
अगले साल इसे बढ़ाकर 3 लाख हेक्टेयर पर पहुंचाने का प्लान है। इसके लिए किसानों को हाईब्रिड बीज मुहैया करवाया जाएगा।
अब वहां रबी कालीन मक्का की बिजाई के लिए किसानों ने आवश्यक तैयारी आरंभ कर दी है। खरीफ सीजन में इस मोटे अनाज का उत्पादन घटने की आशंका है।