iGrain India - चंडीगढ़ । केन्द्रीय पूल में चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में चालू खरीफ सीजन के दौरान धान का शानदार उत्पादन होने का अनुमान है।
वहां 1 अक्टूबर 2024 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से इसकी खरीद का नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने वाला है लेकिन गोदामों वेयर हाउसों में सीमित जगह उपलब्ध रहने से चावल के भंडारण में कठिनाई हो सकती है।
पंजाब के खाद्य आपूर्ति विभाग ने चावल मिलों के परिसर में धान का स्टॉक रखने का प्रस्ताव किया है मगर मिलर्स इस पर आपत्ति जता रहे हैं।
पंजाब में 2024-25 के वर्तमान खरीफ सीजन में धान में उत्पादन बढ़कर 230 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कहीं-कहीं नई फसल की छिटपुट कटाई-तैयारी आरंभ हो गई है जबकि 1 अक्टूबर से विभिन्न मंडियों में उसकी आवक शुरू हो सकती है।
वहां धान का क्षेत्रफल गत वर्ष के 31.80 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 32.20 लाख हेक्टेयर यह पहुंच गया जबकि मौसम एवं मानसून की हालत भी काफी हद तक अनुकूल रही है।
लेकिन सीमित भंडारण सुविधा को देखते हुए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग चिंतित है। पंजाब सरकार की चार अधिकृत एजेंसियों- पनग्रेन, मार्कफेड, पनसप तथा राज्य भंडारण निगम के अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में अभी कुल मिलाकर करीब 175 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है
जिसमें 119 लाख टन चावल, 57 लाख टन गेहूं तथा 7 लाख टन धान (4.66 लाख टन चावल के समतुल्य) का भंडार शामिल है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य में 212 लाख टन खाद्यान्न के भंडारण की क्षमता मौजूद है। इसके तहत सिलोज में 7 लाख टन, गोदामों में 165 लाख टन तथा कवर्ड एरिया प्लींथ (सीएपी) में 40 लाख टन की भंडारण की क्षमता है।
इस बार राज्य में धान की विशाल खरीद होने की उम्मीद है लेकिन इसके सुरक्षित भंडारण की समस्या बनी रहेगी। राइस मिलर्स एसोसिएशन ने कहा है कि वह धान का भंडारण नहीं करना चाहता है क्योंकि समय गुरजने के साथ इसकी क्वालिटी खराब होती जाएगी और बाद में इसकी मिलिंग करने पर मिलर्स को घाटा होगा।