iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान बारिश कम हुई और खासकर अगस्त 2023 में देश के कुछ महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में सूखे जैसी स्थिति बनी रही।
इससे खरीफ कालीन फसलों को कुछ नुकसान हुआ। हालांकि रबी सीजन का उत्पादन बेहतर होने से खरीफ की अभी भी काफी हद तक भरपाई हो गई।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अंतिम अनुमान के अनुसार 2022-23 सीजन की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान यद्यपि मक्का का घरेलू उत्पादन 330.85 लाख टन से 4.20 लाख टन गिरकर 376.65 लाख टन पर अटक गया लेकिन इसके बावजूद मोटे अनाज का कुल उत्पादन 573.19 लाख टन से 23.17 लाख टन बढ़कर 596.36 लाख टन पर पहुंच गया।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में 107.16 लाख टन बाजरा, 47.37 लाख टन ज्वार, 16.99 लाख टन जौ, 16.70 लाख टन रागी एवं 4.49 लाख टन स्मॉल मिलेट्स का उत्पादन हुआ। मोटे अनाजों के संवर्ग में श्री अन्न का कुल योगदान 175.72 लाख टन दर्ज किया गया।
मोटे अनाजों की खेती देश के अनेक प्रांतों में होती है जिसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार तथा हरियाणा आदि मुख्य रूप से शामिल है। इनमें से अधिकांश राज्यों में पिछले साल सूखे जैसा माहौल रहा था।
चालू खरीफ सीजन में अखिल भारतीय स्तर पर मोटे अनाजों का कुछ उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 192.55 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 186.07 लाख हेक्टेयर से 6.48 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इसके तहत खासकर मक्का का क्षेत्रफल 84.65 लाख हेक्टेयर से उछलकर 88.06 लाख हेक्टेयर, ज्वार का रकबा 14.29 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 16.13 लाख हेक्टेयर तथा रागी का बिजाई क्षेत्र 10.50 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 12.46 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा मगर बाजरा का उत्पादन क्षेत्र 70.94 लाख हेक्टेयर से गिरकर 69.91 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।