iGrain India - संशोधित तिथि के अनुरूप दक्षिण-पश्चिम मानसून को सुदूर पश्चिमी राजस्थान तथा गुजरात के कच्छ संभाग से 17 सितम्बर को प्रस्थान करना चाहिए था लेकिन यह छह दिन के बाद यानी 23 सितम्बर को वहां से विदा हुआ। अब अपनी वापसी यात्रा के क्रम में यह कई राज्यों में भारी बारिश करते हुए आगे बढ़ रहा है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात एवं कर्नाटक जैसे प्रांतों में पिछले दिन मूसलाधार बारिश हुई जबकि अभी बिहार में मानसून की जबरदस्त सक्रियता बनी हुई है।
ध्यान देने वाली बात है कि इस बारिश के दौरान से पूर्व बिहार में सामान्य औसत की तुलना में करीब 28 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी लेकिन अब यह काफी हद तक घट जाएगी।
इस बारिश से वहां धान की फसल को कुछ फायदा होने की उम्मीद है। देश के दक्षिणी तथा मध्यवर्ती भाग में भी वर्षा हो रही है मगर वह दलहन-तिलहन फसलों के लिए लाभप्रद नहीं मानी जा रही है।
हालांकि सतह के ऊपर मौजूद कम दाब का क्षेत्र अब कमजोर पड़ गया है लेकिन फिर भी इन इलाकों में वर्षा का नया दौर जारी है।
वहां दलहन-तिलहन की अगैती बिजाई वाली फसलों को इस बारिश से नुकसान होने की आशंका है क्योंकि लम्बे समय तक खेतों में पानी जमा रहना इन फसलों के लिए घातक साबित होता है।
मौसम विभाग ने इस बार राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष 106 प्रतिशत वर्षा होने का अनुमान लगाया है जो सच प्रतीत हो रहा है।
मानसून की भरपूर बारिश के कारण खरीफ उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है लेकिन कुछ इलाकों में हुई अधिशेष वर्षा चिंता का कारण बनी हुई है।
खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी का सीजन लगभग शुरू हो चुका है और ऐसे समय में लौटते मानसून की वर्षा कृषि क्षेत्र के लिए शुभ नहीं है।
खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश पहले से ही मौजूद है जिससे रबी फसलों की बिजाई में मदद मिलेगी लेकिन यदि पानी का ज्यादा दिनों तक जमाव रहा तो अगैती बिजाई में किसानों को कठिनाई हो सकती है।
दक्षिणी छत्तीसगढ़ के ऊपर एक अवशेष सर्कुलेशन मौजूद था जिससे पश्चिमी राज्यों में बारिश हुई। मध्य-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ऊपर उत्पन्न निम्न दाब आगे बढ़कर आंध्र प्रदेश तट को पार करते हुए छत्तीसगढ़ पहुंचा था।
अगले 2-4 दिनों तक वर्षा का दौर कुछ राज्यों में बरकरार रह सकता है जिस पर नजर रखने की आवश्यकता है।