iGrain India - नई दिल्ली । इसमें कोई संदेश नहीं कि चावल एशिया महाद्वीप में और खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया देशों के संगठन- आसियान में लोगों का मुख्य खाद्य आहार है।
वहां दुनिया में चावल के कुछ सबसे बड़े चावल उपभोक्ता देशों में से कुछ देश अवस्थित हैं जिसमें थाईलैंड एवं फिलीपींस के साथ-साथ थाईलैंड एवं वियतनाम जैसे प्रमुख निरयतक देश भी शामिल हैं।
इन देशों में कच्चे (सफेद) तथा सेला-दोनों तरह के चावल की भारी खपत होती है मगर बासमती चावल का ज्यादा उपयोग नहीं किया जाता है। इससे भारत को वहां अपनी पैठ बनाने में कठिनाई हो रही है।
भारत के इस प्रीमियम क्वालिटी के लम्बे दाने वाले सुगन्धित चावल का निर्यात आसियान देशों में बढ़ाना एक चुनौती है लेकिन निर्यातक वहां तेजी से अवसरों की तलाश भी कर रहे हैं।
परम्परागत रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में छोटे दाने वाले सामान्य श्रेणी के चावल के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती रही है लेकिन अब वैश्विकरण का दौर जारी रहने से लोगों की पसंद एवं खाद्य शैली में तेजी से बदलाव हो रहा है जिससे इन देशों में भारतीय बासमती चावल का आयात बढ़ने की उम्मीद है। इसमें कुछ समय लग सकता है।
लेकिन यदि एक बार इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई तो मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, उत्तरी अमरीका तथा यूरोपीय संघ की भांति दक्षिण- पूर्व एशिया भी भारतीय बासमती चावल का एक महत्वपूर्ण बाजार बन सकता है।
हालांकि इंडोनेशिया एवं सिंगापुर जैसे देश भारत से मोटे चावल का आयात करते हैं मगर बासमती चावल की खरीद पर ध्यान नहीं देते हैं। भारत सरकार के साथ निर्यातकों को वहां नया मार्केट बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।