iGrain India - नई दिल्ली । चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की बारिश पिछले चार साल में यानी वर्ष 2020 के बाद सबसे अधिक हुई है। लगातार तीन महीनों तक यानी जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर में सामान्य औसत से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
पिछले साल खासकर अगस्त माह के दौरान देश में भयंकर सूखे की स्थिति रही थी मगर इस बार अगस्त में जोरदार वर्षा हुई। हालांकि जोरदार वर्षा तथा विनाशकारी बाढ़ से कुछ इलाकों में खरीफ फसलों को नुकसान भी हुआ है लेकिन मेप फसल की हालत काफी अच्छी बताई जा रही है और आगामी रबी फसलों की बिजाई के लिए भी मजबूत आधार बन रहा है। बिहार के 23 जिलों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत में लगभग 70 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में होती है जिससे न केवल खरीफ फसलों की सिंचाई होती है बल्कि बांधों जलाशयों में पानी का स्तर भी ऊंचा उठ जाता है।
लगभग 3.5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था वाले देश भारत के लिए इस मानसून की बारिश का खास महत्व रहता है क्योंकि देश के लगभग आधे भाग में सिंचाई की समुचित सुविधा उपलब्ध नहीं है और वहां फसलों को वर्षा पर ही आश्रित रहना पड़ता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि जून से सितम्बर 2024 के चार महीनों की अवधि के दौरान देश में दीर्घकालीन औसत (एलपीए) के सापेक्ष 107.6 प्रतिशत बारिश हुई।
सामान्य शब्दों में कहा जाए तो इस बार 7.6 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य औसत की तुलना में इस बार जुलाई में 9 प्रतिशत, अगस्त में 15.3 प्रतिशत तथा सितम्बर में 11.6 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
दरअसल मानसून की वापसी में देरी होने से सितम्बर अधिक वर्षा हो गई। इससे कुछ क्षेत्रों में धान, कपास, सोयाबीन, मक्का तथा दलहन फसलों को क्षति होने की सूचना मिल रही है।
लेकिन इस बारिश से रबी सीजन के दौरान गेहूं, जौ, सरसों, चना, मसूर एवं मटर जैसी फसलों की बिजाई एवं प्रगति में अच्छी सहायता मिलने की उम्मीद है।