iGrain India - पटना । लगातार हो रही अत्यन्त मूसलाधार वर्षा तथा नेपाल से नदियों में छोड़े जा रहे पानी के कारण उत्तरी एवं मध्यवर्ती बिहार के लगभग दो दर्जन जिलों में भयंकर बाद का प्रकोप देखा जा रहा है।
कोसी, गंडक एवं बागमती जैसी नदियां उफान पर हैं और कम से कम सात बांध या तो टूट गए हैं या उसमें दरार पड़ गई है। बाल्मीकि नगर तथा बीरपुर के बैराज को खोल दिया गया है जिससे विशाल क्षेत्रफल में पानी भर गया है और खेत जलमग्न हो गए हैं।
बिहार के जिन जिलों में बाढ़-वर्षा का सबसे भयावह प्रकोप देखा जा रहा है उसमें सहरसा, सुपौल, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया एवं गोपालगंज आदि शामिल हैं।
इसके आलावा कई अन्य जिलों में भी जोरदार बारिश तथा विनाशकारी बाढ़ से जल जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि चालू मानसून सीजन में मध्य सितम्बर तक बिहार में सामान्य औसत की तुलना में 28 प्रतिशत कम बारिश हुई थी
मगर सितम्बर के तीसरे-चौथे सप्ताह में इतनी जोरदार वर्षा हुई कि सारे खेत-खलिहान डूब गए और धान तथा मक्का के साथ-साथ दलहन एवं तिलहन की फसल भी जलमग्न हो गईं।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक यदि बाढ़-वर्षा का पानी खेतों में लम्बे समय तक बरकरार रहा तो खरीफ फसलों को भारी नुकसान हो सकता है और इसके उत्पादन में काफी कमी आ सकती है।
छोटे-छोटे किसानों एवं के खेतिहर मजदूरों को ऊंचे तथा सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है जिससे फसलों को देखभाल करना कठिन हो गया है।
पिछले पांच छह दिन के दौरान बिहार के अधिकांश जिलों में जरूरत से बहुत ज्यादा पानी बरसा है लेकिन असली समस्या नेपाल की तरफ से आ रही है। वहां तो हालत और भी भयावह है। बिहार में फसलों को हुई क्षति का आंकलन करने में लम्बा समय लग सकता है।